जाति का दंश
जाति का दंश
हमारे गाँव के ठाकुर साहब की फेमिली बहुत ही सम्पन्न परिवार से थे, गाँव में दबदबा भी था। सारे गाँव में उनकी हवेली की बड़ी धाक है, उन्होंने अपने बाप- दादा के ज़माने से ही ग़रीब गाँव वालों की ज़मीनों पर कब्ज़ा कर रखा था, ठाकुर साहब के चार बेटे थे उनमें तीनों बड़े बेटे ठाकुर साहब के नक़्शे क़दम पर चलते वहीं क्रुरता भरी है पूरे गाँव की लड़कियां औरतें बिलकुल सुरक्षित नहीं थी।
वही ठाकुर साहब एम.एल.ए क्या बन गए तो गाँव की जमींदारी और हर पंचायत हो ब्लॉक स्तर के कामों में उनका दखलअंदाजी चलती थी।
ठाकुर रुद्रप्रताप सबसे छोटा बेटा बड़ा ही शालिनी था शहर में पढ़ने गया हुआ था। मेडिकल कॉलेज में डाक्टरी की पढ़ाई कर रहा था। जब भी गाँव आता तो सबसे बहुत ही स्नेह मिलता और गाँव के छोटे से छोटे चाहे वो ग़रीब स्वीपर ही हो , मोची हो जबकि उनके बाप और भाई ऐसा बर्ताव करते थे पैरों से दूर धकियातें उनके आस-पास भी गाँव के नीची जाति वाले दिख जातें तो उनके आदमी बुरी तरह से पीटाई कर देतें। सिर्फ इसलिए के ठाकुर साहब के रास्ते में कैसे आ गए तुम नीच लोग।
ठाकुर रुद्रप्रताप के साथ उसकी सहपाठी थी काव्या उससे करीब दो साल से अफेयर्स था घर में रुद्रप्रताप ने अपनी भाभियों को और माँ को बता रखा था। मिलाने भी गाँव लाया था। ठाकुर दिग्विजय सिंह को बेटे की ये पसंद नहीं था उन्होंने अपने आदमियों को भेज कर काव्या के परिवार वालों के बारे में मालूमात की इतफ़ाक से काव्या छोटी जाति की है ये मालूम होते ही ठाकुर दिग्विजय सिंह की भृकुटि तन गई। उन्होंने ने रुद्रप्रताप को पूरी तरह से "काव्या" नाम की लड़की से ताल्लुक तोड़ दे उनका एक क्षत्रिय राज्य चलता था। बस वो कोई और बात नहीं सुनना चाहता हूँ।
आज दो साल हो गए रुद्रप्रताप को मेंटल डिसआर्डर हो जाता है रुद्रप्रताप शिमला में अपनी माँ के साथ उसको इलाज के लिए वहाँ रखतें है, माँ अपने बच्चें की ये हालत देखकर परेशान है, रुद्रप्रताप अक्सर कमरे में किसी का साया महसूस करता है।
रुद्रप्रताप को फिजियोथेरेपिस्ट विधि रुद्रप्रताप टैक्स को एक्सरसाइज कराने आती है, तो रुद्रप्रताप धीरे- धीरे विधी से बात चीत करने लगता है, कमरे में मुझे कोई साया होने का अहसास होता है। विधी को रुद्रप्रताप से लगाव हो जाता है वो बहुत मेहनत करती है, रुद्रप्रताप कहता है मुझे हरसिंगार के फूलों की भीनी-भीनी ख़ुशबू आती है हर कभी मेरा रुम महक जाता है ये ख़ुशबू बहुत ही जानी पहचानी सी रहती है।
एक दिन विधी उसे अपने साथ रुद्रप्रताप की मम्मी से इजाज़त लेकर घूमने ले जाती है ,रुद्रप्रताप विधि से कहता है मुझे यहाँ की एक पहाड़ी क्षेत्र में गाँव है वहाँ ले चलें,वहाँ के हरसिंगार की पेड़ों का झुरमुट रहता है बहुत हरियाली और घना जंगल रहता है। घुमावदार रास्ते पर विधि की गाड़ी अनियंत्रित होती है सामने से एक बस से टक्कर होते-होते बचते है।
जैसे- तैसे घर पहुंचे रुद्रप्रताप उस हादसे से बड़ा अप्सेट हो जाता है। रुद्रप्रताप रात में सोता है तो उसे वही हरसिंगार के फूलों वाली ख़ुशबू से कमरा महक जाता है, सपनें में डरावना सपना जैसे कोई कार को पहाड़ी पर से धक्का दे रहा हो, एक दिन विथि रुद्रप्रताप की माँ से पूछ कर एक मुस्लिम मोलवी को लाती है , रुद्रप्रताप की माँ इंदिरा देवी चाहती है , रुद्रप्रताप ठीक हो जाए। वो मोलवी घर में कुछ पढ़कर फूंकतें हैं और थोड़ी देर में वो साया फिर महसूस होता है, वही ख़ुशबू आती है।
मोलवी कहतें है आप अपने यहाँ घर में कुछ पूजा वगैरह करवा ले शांति के लिए, कुछ तो साया है या तो बच्चे पर है या घर में है।
विधि दो दिन बाद आकर कहती है हम दिल्ली चलते हैं मेरी एक साइकोलॉजिस्ट से बात हुई है, मैं रुद्रप्रताप को लेकर चली जाती हूँ आप और अंकल यही रहे दो दिन में आ जाएंगे।
ठाकुर दिग्विजय सिंह थोड़ा ऐतराज़ करतें हैं नहीं तुम रहने दो हम देख लेंगे, वो इंदिरा देवी को कहते हैं इस लड़की को ज़्यादा मत इन्वालव करो। विधि चुप हो जाती है रुद्रप्रताप से फोन पर कांटेक्ट रहता है। एक दिन रुद्रप्रताप अखबार में एक लड़की और लड़के की हत्या की न्यूज़ पढ़ता है किस तरह से लड़के के घर वाले लड़की को मार कर कार से पहाड़ी से नीचे फेंक देते हैं।
रुद्रप्रताप उग्र हो जाता है, विधि को फोन करके कहता है मैं दिल्ली चलना चाहता हूं मगर विधि कहतीं है अंकल ने मुझे आने को मना कर दिया है।
विधि शिमला के एक होटल में ही मिलना तय करती है। साइकोलॉजिस्ट को भी शिमला में ही बुला लेती है। अपने तरीके से रुद्रप्रताप को पिछले वक़्त में ले जा कर मालूम करती है उसके दिमाग़ में किस बात का सदमा लगा है ,रुद्रप्रताप की ये हालत कैसे हुई।
रुद्रप्रताप अपने पुराने वक़्त में चला जाता है और वो अपनी बात बताता है डाक्टर पूछती है क्या देख रहे हो वो बताता है कोई कार को पहाड़ी पर से धक्का देतें हैं उसमें कोई लड़की मुझे पुकार रही है, थोड़ी देर बार रुद्रप्रताप "काव्या... काव्या चिल्लाता है। वो कहता है काव्या है उसमें उन्होंने मार दिया मेरी काव्या को, रुद्रप्रताप को याददाश्त आ जाती है।
रुद्रप्रताप जब होश में आता है खूब रोता है विधि और दिल्ली से आए डाक्टर साहिल उसको रो लेने देतें हैं।
रुद्रप्रताप होटल से सीधा काव्या के घर जाता है उसके माँ- पापा से मिलता है मगर वो कुछ भी बताने से मना कर देतें है। फिर रुद्रप्रताप अपने साथ पढ़ने वाली काव्या की बेस्ट फ्रेंड से बात करता है तो वो सच्चाई बताती है रुद्रप्रताप तुम्हारे बाप ठाकुर दिग्विजय सिंह की ऊंची जाति के दंश ने हमारे से काव्या को छीन लिया।
रुद्रप्रताप ठाकुर दिग्विजय सिंह और माँ इंदिरा देवी को खूब खरी खोटी सुनाता है। आप लोग इतना गिर सकते हैं।