इण्डियन फ़िल्म्स 1.10

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मेरा प्यार...


ये उन गर्मियों की बात है, जब मैं और तान्या पद्गरदेत्स्काया साथ-साथ कम्पाउण्ड में घूमा करते थे और तान्या मुझे सील फ़िश (अजीब, अनाडी लडके को सील फिश कहकर चिढ़ाते हैं – अनु ) कहती थी, और ये देखकर खूब हँसती थी, कि मुझे अपने सील फ़िश जैसा होने पर अचरज होता है।

एक बार शाम को हमने शादी करने का फ़ैसला किया। ये बात तो साफ़ ज़ाहिर थी, कि हम एक दूसरे से बेहद प्यार करते हैं, मगर हमें पक्का पता था, कि हमारे माँ-बाप कभी भी राज़ी नहीं होंगे। बात ये है, कि मेरी मम्मा शहर के एक इन्स्टीट्यूट में लिटरेचर की टीचर थी और इस वजह से तान्या के माँ-बाप उसे ‘बुद्धिजीवी’ कह कर गाली देते थे। इस लब्ज़ का क्या मतलब होता है – ये तो मुझे समझ में नहीं आता था, मगर मुझे इतना पता था, कि तान्या के माँ-बाप मेरी मम्मा से दोस्ती करने के बजाय फाँसी ही लगा लेंगे। मेरे पापा भी तान्या के माँ-बाप के बारे में ऐसी ऐसी बातें कहते थे, जिन्हें आम किताबों में नहीं लिखा जाता, और समझ में नहीं आता था, कि क्या वह मम्मा को बचा रहे हैं, या उन्हें भी तान्या के माँ-बाप अच्छे नहीं लगते।

मतलब, हमारे सामने सिर्फ एक ही रास्ता था। भाग जाने का।

मुझे हमारी बिल्डिंग के पीछे वाली बगिया में एक ख़ुफ़िया जगह मालूम थी, जब तक सर्दियाँ शुरू नहीं हो जातीं, वहाँ पर रहा जा सकता था। आगे की देखी जाएगी।

“तो, तान्,” मैंने अपनी मंगेतर से पूछा, “क्या तुम हमेशा मेरे साथ रहने के लिए तैयार हो, दुख में भी और सुख में भी ?”

“ठीक है, कोई प्रॉब्लेम नहीं,” तान्या पद्गरोदेत्स्काया ने संजीदगी से जवाब दिया।

और हम चल पड़े।

उस ख़ुफ़िया जगह पर पहुँचे, और तभी तूफ़ान शुरू हो गया। बिजली कड़कने लगी, धरती हिलने लगी, या तो डर के मारे या ख़ुशी के मारे। और हम एक दूसरे से चिपक कर एक बड़े ठूँठ पे बैठे हैं, जो एक बड़े पेड़ को छीलने के बाद बचा था या हो सकता है, उसे सही-सही काटा गया हो।

“तान्,” मैंने कहा, “तू जान ले कि तेरे लिए मैं अपनी ज़िंदगी कुर्बान करने के लिए तैयार हूँ!”

“ये ठीक है। मगर, अगर तुमने ज़िंदगी कुर्बान कर दी, तो फिर मेरा ख़याल कौन रखेगा ? मेरा तो अब तुम्हारे सिवा कोई भी नहीं है!”

“अरे नहीं, मैं ख़याल भी रखूँगा, मगर सच में, अगर ज़रूरत पड़ी तो ज़िंदगी भी कुर्बान कर दूँगा!”

“सुन,” तान्या ने काफ़ी तीखे सुर में कहा, “तू एकदम बेवकूफ़ है! तुझे तो सिर्फ ज़िंदगी ही कुर्बान करने का शौक चढ़ा है, मगर किसलिए – ये महत्वपूर्ण नहीं है!”

“सही है,” न जाने क्यों मैं सहमत हो गया। “तब नहीं करूँगा कुर्बान। चौरानवें साल जिऊँगा, परदादी की तरह, और जब तक सबको दफ़ना न दूँगा – नहीं मरूँगा।”

“ये हुई न बात,” तान्या मुस्कुराई।

कुछ समय तक हम, किसी बकवास फिल्म के नायक-नायिका की तरह, एक दूसरे की पीठ से पीठ सटाए, चुपचाप बैठे रहे और सिरफिरी बारिश में भीगते रहे। फिर तान्या ने कहा:

“सुन, मुझे थोड़ी ठण्ड लग रही है।”

“और मुझे भी,” मैंने कहा।

कुछ और देर ख़ामोशी छाई रही। फिर मैंने कहा:

“सुन तान्, चल वादा करते हैं, कि आज से ठीक तेरह साल बाद, जब हम अठारह साल के हो जाएँगे, तो हम ठीक इसी जगह पे मिलेंगे, रजिस्ट्रेशन ऑफ़िस जाएँगे और तब पक्का शादी कर लेंगे, मगर फ़िलहाल बिदा लेना होगा – अपने अपने घर जाएँगे।”

“बिल्कुल, ऐसे ही ?” तान्या ने पूछा।

“ऐसे ही,” बेहद आत्मविश्वास से मैंने जवाब दिया, क्योंकि अब ठण्ड के साथ भूख भी लगने लगी थी।

“ख़ैर, ये कोई अच्छी बात नहीं हुई,” तान्या ने जवाब दिया। “एक घण्टा भी साथ नहीं रहे।।।” और जैसे वो पल भर के लिए गुस्सा हो गई, मगर फ़ौरन संभल गई: “वैसे, तू ठीक ही कह रहा है, बेशक। मगर तेरह साल बाद – एक्ज़ेक्ट्ली ? ठीक इसी जगह ?”

“ सूरमा का प्रॉमिस,” न जाने कैसे मेरे मुँह से निकल गया, हालाँकि मैं ये भी नहीं जानता था, कि सूरमा क्या होते हैं।

तूफ़ान पहले ही की तरह चिंघाड़ रहा था, और हम, पूरी तरह भीगे हुए और ख़ुश, अपने-अपने घरों की ओर चल पड़े। और जब मैंने अपने क्वार्टर की घंटी बजाई, मुझे न जाने क्यों पल भर के लिए डर लगा: मैं तो ठीक तेरह साल बाद उस जगह पहुँच जाऊँगा, जहाँ हम गए थे – मैंने प्रॉमिस भी किया है, मगर अगर तान्या इस दौरान ये सब भूल गई तो ?

मगर मैंने जल्दी से इस बारे में सोचना बंद कर दिया, क्योंकि मम्मा ने दरवाज़ा खोला और कहा कि उसके पास मेरे लिए एक सर्प्राइज़ है: उसने मेरे लिए ट्रेन ख़रीदी है, जिसका मैं कब से सपना देख रहा था। हाँ, और तान्या भी कुछ नहीं भूलेगी! क्या उसने एक भी बार मुझे धोखा दिया है ? नहीं। मतलब, हमारी मुलाकात के बारे में परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है! 


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