Abasaheb Mhaske

Tragedy Action Inspirational

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Abasaheb Mhaske

Tragedy Action Inspirational

हर कोई क्यों इतना डरा

हर कोई क्यों इतना डरा

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हर कोई क्यों इतना डरा सहमा सहमा सा ? 

चुपचाप सह रहा हैं जुल्म, अन्याय, अत्याचार 

क्यों बेच रहा है इमान दिल खोल के 

देश समाज इंसानियत कोई चीज हैं की नहीं ? 


क्या हम गांव के गांव शहर के शहर 

श्मशान घाट में तबदील होने की राह देख रहे हैं ?

क्या हमारे सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग

क्यों इतने संवेदन हीन हो सकते हैं ?


क्या हमारी आस्था, चुनाव लोगों के

जान से अधिक हैं जरूरी है ? 

क्या सुप्रीम कोर्ट से मोटो नहीं ले सकता 

चुनाव आयोग सो रहा हैं लोग मर रहे हैं देखते नहीं ?


लाशों की ढेर में ही उन्हें राजनीतिक रोटी सेंकनी है

क्या हम सब सिर्फ जिन्दा लाश बन चुके हैं ?

जात धर्म आस्था मतलब के सिवाय कुछ नहीं दिखता ? 

जब इंसान ही नहीं बचेगा तो राजनीति क्या खाक करोगे ?


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