मिलके बिछड़े यहाँ कहा आ के मिले ?
मिलके बिछड़े यहाँ कहा आ के मिले ?
मुर्दा बोला दूसरे मुर्दे से अरे भाई तुम यहाँ ?
हां भाई सोचा नहीं था कभी इसतरह मिलेंगे
बहुत गुरुर था यार अपने आप पर , तू कैसे ?
क्या बताऊ यार हो गया बंटाधार रे आपसी तकरार में
जिंदगी भर लड़ते रहे मजहब के नाम पर
लड़ते रहे एक दूसरे से जाने अनजाने में
हां यार भाई गलती तो हुई उसकी सजा पाई
हो गया बंटाधार रे आपसी तकरार में
पता नहीं यार क्या हो गया कोई मरा बीमारी से
कोई मरा बेरोजगारी से कोई मरा खुदखुशी से
हर तरफ मातम छाया हुवा हैं क्यों और कैसे ?
हो गया बंटाधार रे आपसी तकरार में
अच्छा खासा कमाते थे , बहुत खुश थे
मिल जुलके रहते थे एक दिन अचानक
पता नहीं क्या हो गया हरतरफ हाहाकार
लाशो की ढेर में मैं भी समां गया , तू बता ?
हां यार मेरा भी वही हैं दुखड़ा ,
चार दिन पड़ा रहा लावारिश बनकर
ज़िल्ल्त की जिंदगी मिली ,
सम्मान की मौत भी नसीब न हुई
अब तैर रहे हैं ऐसे यंहा चील कौवे नोचकर खा रहे ,
क्या फायदा अब तो
चलो दोस्त जो हुवा सो हुवा
मिलके बिछड़े यहाँ कहाँ आ के मिले ?