Abasaheb Mhaske

Tragedy

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Abasaheb Mhaske

Tragedy

सबकुछ बेचो

सबकुछ बेचो

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बेचो बेचो सबकुछ बेचो

घर में राशन हैं ना सुकून 

भूखे- नंगे बच्चे घूमे

दिन रात तुम नशे में चूर


बेचो बेचो सबकुछ बेचो

कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता

बीवी बच्चे जाये भाड़ में

बस दोस्त खुश रहने चाहिये


बेचो बेचो सबकुछ बेचो

कुत्ते - बिल्ली, साँप नेवले

शेर - पाव शेर बिलकुल निठल्ले

जमीर तो कब का बेच चुके हो


बेचो बेचो सब कुछ बेचो

कौन सी नशा करते हो ?

हमें भी बतावो यार अब तो

हम भी जीयेंगे बेफिक्री से 


बेचो बेचो सबकुछ बेचो

हो सके तो हमें भी बेचो

घर- बार खेत - खलियान

बोरिया बिस्तर झाड़ू -पोंछा


 बेचो बेचो सबकुछ बेचो

क्या पाया - क्या खोया ?

कुछ मत सोचो, बेचते रहो

बाप का माल दिल खोल के 


 बेचो बेचो सबकुछ बेचो

दोस्तों के खातिर जीते रहो 

कुछ शर्म बाकी हैं तो

डुब मरो चुल्लू भर पानी में


 बेचो बेचो सबकुछ बेचो

काम धंधा कुछ करते नहीं

नरक बना दी हैं जिंदगी यार

झूठे- वादे कब तक बेशर्मी से

 


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