Abasaheb Mhaske

Tragedy Crime

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Abasaheb Mhaske

Tragedy Crime

चला मुरारी हीरो बनने

चला मुरारी हीरो बनने

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ना हारने का डर था ना ही कल की फ़िक्र 

बस अँधेरे में ढूंढ़ना जैसे सूरज की किरण 


आर देखा न पार देखा दोस्त देखा न दुश्मन 

सबक तो सिखाया जिसने भी भरोसा किया 


ना कोई मंजिल थी ना कोई सपना सलोना बस

निकल पड़ा यूँही राहों पर पागलो की तरह 


न कोई रिश्ता निभाया ना किसी से प्यार जताया 

हर वक्त नौटंकी कर के चला मुरारी हीरो बनने।


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