Bhawna Kukreti

Abstract Romance

4.4  

Bhawna Kukreti

Abstract Romance

होता है,असर होता है!

होता है,असर होता है!

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सर्दियों की शुरुआत है, सुबह सुबह मैं अपनी बालकनी में, अपने उड़ते बेतरतीब बालों को समेटते हुए बस अभी अभी ही आयी हूँ। इस मौसम ,सुबह को महसूस करना भी क्या शानदार अहसास है।

"मौसम का असर क्या सब पर ही होता होगा?" किसी ने कहा ,"क्या पत्थर दिल पर भी ? " ओह ! यह तो पट्टरचट्टा है ,उसने मुझे शिकायती नजरों से देखते हुए पूछा है । 

      उसे मुझसे बहुत शिकायतें है। उसे लगता है कि मैं उसे जानबूझ कर नजर अंदाज करती हूँ।शायद उसके नाम मे पत्थर जुड़ा है तो मैँ उसे पत्थर समझती हूँ,जिसे न कुछ अहसास होता है न वो कुछ कहता ही है। उसे मैं पत्थर दिल लगती हूँ,वो भी सिर्फ उसके लिए।वरना वो क्या देखता नहीं, मेरी उंगलियों के नाजों से दस बाजिया को दुलारना, क्रोटन पर पानी की फुहार हौले से डालना।उस पर बस दो चार दिन में ही नजर जाती है मेरी।अब तो उसने रिझाने को फूल भी खिला लिए हैं।आज उसने ठाना है,इस मौसम में वह चुप नहीं रहेगा।मेरे कदम अभी बस बालकनी में पड़े ही हैं कि वह जोर जोर से अपने फूलों को हिला कर कहे जा रहा है,"बोलो ,जवाब दो ,असर होता है?!"

"मुझ पर तो होने लगा", मैने शरारत में कहा। शक्की नजरों से मुझे और पत्थरचट्टा को देखते हुए  सामने  से गुलाबी दस बजिया ने कनखियों से  देखा और बोली "हम्म! शक्ल से कुछ लग तो रहा है"। क्रोटन ने उसे सरसराते हुए छुआ और कहा "इतने खूबसूरत मौसम में नाजुक लफ्जों का इस्तेमाल किया करो तुम दोनों। देखो बादल भी इधर ही चले आ रहे है।"


    अचानक बारिश की बूंदों ने फुहार कर हम चारों को प्यार से भिगो दिया और हंसते हुए कहने लगी "तुम सब एक दूसरे के प्यार में मरे जा रहे हो, ऐंठना छोड़ो और दम भीग भी लो।" बारिश ने हवा का आँचल हौले से लहराया और पट्टरचट्टा अपनी हथेलियों से झरती बारिश की बूंदों को 10 बजिया और मेरी उंगलियों पर पर उछाले जा रहा है ।10 बजिया पूरी खिल गयी है। कुछ छींटे क्रोटन पर भी पडे हैं। वह भी ख़ुद में ताज़ा हो झूमने लगा है और मैं...मैं चेहरे पर बारिश को महसूस करती ,सवकी बातें सुनते हुए,आंखें बंद किये आसमान की ओर मुंह किये हूँ।बारिश की फुहार मेरे चेहरे पर अपना प्रेम गीत गाये जा रही है और में हिप्नोटाइज सी हो गयी हूँ।मैंने पत्थरचट्टा के फूलों को भीगी उंगलियों से छेड़ दिया है, पत्थर चट्टा इस अप्रत्याशित प्रेम की छुवन से सिहर गया है। वो और बेबाक हो गया है,उसके घण्टी जैसे फूल अब हवा संग गीत गाने लगे हैं।

    मौसम का असर क्या सब पर ही होता होगा, क्या उनके दिल पर भी ?  इस बार मेरा मन , मुझसे मन ही मन बोला है और बिना उसका कहा सुने मेरा वजूद,  " होता है, असर होता है"  गुनगुनाये जा रहा है।

 सर पर हल्की सी  टीप पड़ी है, " होता है, असर होता है...नाश्ता न मिले तो दिमाग पर असर होता है"। पतिदेव ऑफिस जाने की तैयारी में मेरे पीछे हल्की मुस्कान लिए खड़े हैं। में कुछ पल को भूल ही गयी थी कि आज संडे नहीं है और , और मेरा परिवार भी है। हंसते हुए मैं उन्हें गुदगुदा देती हूँ। 

क्रोटन उन्हें ,अचानक अपने बीच देख चौकन्ना हो गया है, पत्थरचट्टा दम साध गया है और दस बाजिया नजरें नीची करके इनकी पतलून को छू रहा है मानो कह रहा हो "सोररी,आपकी जीवनसंगिनी का समय ले लिया"। 

     मैँ किचन में टिफिन पैक कर रही हूँ।बालकनी से इनके गुनगुनाने की आवाज आ रही है।बारिश तेज होने लगी है, विंड चाइम से हवा खेल रही है।एक अनोखा संगीत बजने लगा है। झांक रही हूँ  ,इन्होंने अपनी आस्तीन के कफ लिंक खोल दिये हैं, आसमान की ओर देखते हुए ये अपने बाजू चढ़ा रहे है।

मैंने झटपट चाय चढ़ा दी है और इनकी पसंदीदा पकौड़ियों के लिए तैयारी कर दी है। ऐसे मौसम में किसी भी समय इन्हें इनका स्वाद बेहद पसंद है। झांक कर देखती हूँ ,ये मुस्कराते हुए दस बाजिया के फूलों को छू रहे है, पत्थर चट्टा ने  घण्टी जैसे फूलों को हिला कर अपनी नाराजगी जाता दी है। क्रोटन भी मुहँ फुला गया है शायद । उसकी शाखें हवा के साथ हो कर इनसे दूर हो रही है। समझ आ रहा है,अब प्यार सबमे बराबर न बटें तो नाराजगी तो होगी ही न!

मैं चाय और पकोड़े ले कर टिफ़िन को अंदर ही छोड़ कर बालकनी में चली आयी हूँ। टेबल पर सब रख कर इनको देखती हूँ।ये बेहद खुश और खिले से दिख रहे है।बारिश के पानी को अंजुली में ले रहे है।

 "तो आज ऑफिस कैंसल न?!!",मेरे यह कहते ही  ये खुल कर हँसने लगे है। मुझे अचानक एक याद छू जाती है।इनकी इसी निश्छल हंसी ने तो पहली दफा मेरा ध्यान इनकी ओर खींचा था, अलबत्ता तब जनाब मेरा मजाक उड़ा रहे थे..एक मिनट कहीं अभी भी तो नहीं।

मगर शायद नहीं, ये तो गहरा प्यार है इनका । इनकी भरी हुई हथेलियों से  बारिश का पानी उछल कर अब मेरे चेहरे पर है, और मेरा चेहरा इनके हृदय से लगा ,सुकून में है।

 हमारी धड़कनो में सुनाई दे रहा है "होता है,असर होता है!" और मेरी छोटी सी बगिया प्रेम में तर बतर है।


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