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Sneha Dhanodkar

Abstract

4.8  

Sneha Dhanodkar

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होम मिनिस्टर

होम मिनिस्टर

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270



दीप्ती की शादी को अभी चार ही महीने हुए थे उसने अपने ही ऑफिस मे काम करने वाले साथी दिवेश से शादी की थी। शादी के बाद दीप्ती को पता लगा की दिवेश का इंट्रेस्ट शेफ बनने मे था वो माँ पापा की वजह से इंजिनियर बना और अब काम छोड़ कर अपनी इच्छा को पूरा करना चाहता है। दीप्ती को इससे कोई तकलीफ नहीं थी। दिवेश घर संभालता था और दीप्ती ऑफिस जाती थी। एक दिन दीप्ती की सारी सहेलियां घर आने वाली थी। दिवेश ने कहा सबके लिये खाना वो बनाएगा जो भीं उसने ऑनलाइन सीखा है सब बनाकर सबको खिलायेगा।  

दिवेश ने पनीर टिक्का, तंदूरी रोटी, दाल मखनी, वेज तवा फ्राई, लच्छा पराँठा, ग्रीन सलाद, रशियन सलाद और मीठे मे गुलाब जामुन और रबड़ी बनायी थी आइसक्रीम के साथ।  

दीप्ती की सहेलियां ऊँगली चाटती रह गयी और पूछने लगी कहां से मंगवाया तब दीप्ती ने बताया की ये शेफ दिवेश यानि उसके पति ने बनाया है।  

तो सब बाते बनाने लगी। तब दीप्ती ने कहां की अगर हमें बाहर जाकर अपने सपनों को पूरा करने का हक़ है तो पुरुषो को क्यूँ नहीं। हम अगर बाहर जाकर काम करे तो बराबरी और पुरुष घर मे काम करे तो नामर्द।  ये कैसी मानसिकता है। ज़ब महिलाओ को बाहर उचित सम्मान मिलता है तो पुरुषो को भीं घर मे मिलना चाहिये। 

मुझे गर्व है की मेरे पति होम मिनिस्टर है। सबने दीप्ती की बात सुन दिवेश के लिये तालिया बजायी और उसे कहां की वाकई आप बहुत अच्छे होम मिनिस्टर हो।


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