विश्वास
विश्वास
रोहन और सोनिया साथ मे कॉलेज मे पढ़ते थे. सोनिया पढ़ाई के साथ साथ सभी गतिविधियों मे भाग लेती थी वही रोहन सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देता था. कॉलेज के वार्षिक सम्मेलन मे एक वाद विवाद प्रतियोगिता के दौरान एक दूसरे के सामने आये. नजरें मिली और प्यार हो गया. उस दिन से आज तक एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब दोनों साथ ना रहे हो. दोनों ने अपनों पढ़ाई अच्छे से पूरी की नौकरी पर लगने के बाद घरवालों से बात की.
सोनिया क्रिशचन थी और रोहन ब्राह्मण. रोहन के घरवाले किसी भी शर्त पर उनके प्यार को परवान देने के लिये राज़ी नहीं थे. सोनिया के माँ पापा को कोई ऐतराज नहीं था. जहाँ रोहन चार भाई बहन थे वही सोनिया एकलौती बेटी थी. फिर भी वो हर तरिके से समझौता करने को तैयार थी.
दोनों ने निश्चय किया था की किसी तरह रोहन के परिवार वालो को मना लेंगे पर होनी को कुछ और ही मंजूर था. सोनिया के पापा की एक सड़क हादसे मे मृत्यु हो गयी. सोनिया और उसकी माँ जयाजी अकेले हो गये. इस मुश्किल घड़ी मे रोहन ने दोनों का पूरा साथ दिया जयाजी और सोनिया ने खुद को संभाला और फिर अपने बिज़नेस को भी. सोनिया ने अपनी नौकरी छोड़ पापा का पूरा बिज़नेस देखना शुरु कर दिया. रोहन के घरवालों को मनाने का हर एक पैतरा नाकाम साबित हुआ.
आखिरकार रोहन को अपना घर छोड़ना पड़ा. सोनिया और रोहन ने कोर्ट मे शादी कर ली.
रोहन भी सोनिया के घर मे शिफ्ट हो गया. सबसे ज्यादा तकलीफ उसके घरवालों को इसी बात की हुयी की वो घर जमाई बन गया था. इसीलिए उन्होंने अब उससे सारे रिश्ते तोड़ लिये थे.
हालांकि शादी के बाद भी दोनों ने घरवालों को मनाने की बहुत कोशिश की पर सब बेकार रही. रोहन के यहाँ तो उसकी कमी उसके दोनों भाइयो और बहन से हो रही थी. हालांकि उसकी बहन चुपके से उससे बात कर लिया करती थी. भाईयों के यहाँ बेटियां हुयी, बहन के यहाँ बेटा हुआ पर उसे नहीं बुलाया गया. बहन फ़ोन पर सबके हाल बता देती थी.
इधर दोनों मिलकर सोनिया के पापा के बिज़नेस को बहुत आगे तक ले जा रहे थे. रोहन ने भी शादी के बाद बिज़नेस ही ज्वाइन कर लिया था. सोनिया की की माँ जयाजी दोनों का बहुत ख्याल रखती थी बल्कि सोनिया से ज्यादा रोहन का ख्याल रखती थी. रोहन ने उनके जीवन मे
बेटे की कमी को पूरा कर दिया था.
शादी के दो साल बाद सोनिया ने खुश खबरी दी थी वो माँ बनने वाली थी. तीनो बहुत खुश थे. सोनिया अब घर से ही काम कर रही थी. जयाजी भी उसके साथ ही रहती थी.
रोहन और जयाजी मिलकर सोनिया का पूरा ख्याल रखते थे. सातवा महीना आते ही अचानक सोनिया की तबियत बहुत ख़राब हो गयी.
डॉक्टर को दिखाया तो पता चला बच्चे के साथ साथ बच्चादानी मे एक ट्यूमर भी विकसित हो गया है. जिसे अब निकाला नहीं जा सकता अगर निकाला गया तो दोनों की जान को खतरा हो सकता है.ये बात सोनिया को पहले ही पता लग गयी थी पर वो पहले बच्चे को खोना नहीं चाहती थी इसीलिए उसने माँ और रोहन को कुछ नहीं बताया था.उसे अपने भगवान और प्यार पर पूरा विश्वास था.
आज सोनिया की हालात बहुत ख़राब थी.जयाजी ने रोहन को हिम्मत बँधायी और कहा बेटा भगवान पर भरोसा रखो सब ठीक होगा.चार घंटे होने को आये थे अब तक ऑपरेशन थियेटर की वो लाल बत्ती जल रही थी. रोहन और जयाजी बाहर बैठे थे. रोहन के तो आँसू बार बार छलक रहे थे पर जयाजी ऑंखें बंद कर भगवान के जाप मे लगी हुयी थी.
तभी डॉक्टर ने आकर बताया की बच्चे और माँ की कंडीशन थोड़ी ख़राब है हो सकता है दोनों मे से किसी एक को बचाना पड़े और बच्चेदानी को भी निकालना होगा.
रोहन के तो पहले समझ ही नहीं आया क्या कहे. फिर खुद को संयत करते हुये उसने डॉक्टर से कहा आप मेरी सोनिया को बचा लीजिये. उसे कुछ मत होने दीजिये.और फिर सुबकने लगा.
जयाजी ने उसे संभाला. थोड़ी देर मे बच्चे के रोने की आवाज़ आयी. नर्स बच्चे को बाहर लेकर आयी और बोली, बधाइयां बेटा हुआ है. रोहन और जयाजी ने उसे देखा प्यारा सा छोटा सा.. और अलगे ही पल रोहन ने पूछा सोनिया कैसी है?
नर्स ने कहा उनका अभी इलाज़ चल रहा है हम कोशिश कर रहे है वो भी ठीक रहे. बच्चे को अभी एन आई सी यू मे रखना है और कहते हुये उस बच्चे को ले गयी.
रोहन की सांसे मानों अटक सी गयी थी आधे घंटे बाद डॉक्टर बाहर आये और बोले सोनिया ठीक है अप उससे मिल सकते है. दोनों जल्दी से अंदर गये.रोहन और जयाजी दोनों को देख सोनिया मुस्कुरायी. जयाजी ने अपने भगवान का शुक्रिया किया और रोहन ने सोनिया का.