मेहमान अंदर बाई बाहर
मेहमान अंदर बाई बाहर
रावी बर्तनो का ढेर देख कर मन ही मन कुड़ रही थी पर क्या करें कोई और चारा तो था नहीं, साफ तो खुद को ही करने पड़ेंगे।
फिर उसने रेडियो चालू किया और बर्तन साफ किये। झाड़ू पोछा करते समय सोच रही थी इस काम वाली नीना का कुछ करना ही होगा, यु तो रोज़ अच्छे से काम करती है कुछ ज्यादा कम भी बोलो तो मना नहीं करती पर जाने क्यूँ जब भी मेहमान आते है ये गायब हो जाती है।
हमेशा का ही हो गया है।
कितनी बार कहा भी उसे पर हर बार कोई ना कोई ऐसा बहाना बनाती है की कुछ बोलने को बचता ही नहीं।
अब तो कुछ अलग ही सोचना पड़ेगा क्युकी ईतनी ईमानदार और अच्छी बाई दूसरी मिलेगी भी नहीं।
यही सब सोचते सोचते रावी ने सारे काम खत्म किये। अगले दिन जब नीना आयी तो खुद ही माफ़ी मांगने लगी मेमसाब मुझे माफ करना वो बच्चे की तबियत ख़राब हो गयी थी तो उसे अस्पताल ले जाना पड़ा इसीलिए नहीं आ पायी। आपने क्यूँ किया काम रहने देती ना मैं कर लेती आज आकर।
अब रावी के पास कुछ बोलने को नहीं था। रावी का शहर इंदौर हर जगह जाने आने के रास्ते मे पड़ता था और पढ़ाई और अन्य सुविधाएं अच्छी होने से सारे रिश्तेदार उसके यहाँ आते जाते रहते थे।
अब दो दिन बाद ननद उसके बच्चे के एडमिशन के लिये आने वाली थी, रावी नीना को बताने ही वाली थी की उसे कुछ सुझा। उसने नीना से कुछ नहीं कहा।
दो दिन बाद नीना आपने समय से काम पर आ गयी देखा तो घर मे मेहमान, चुपचाप अंदर आकर बोली मेमसाब आपने बताया नहीं मेहमान आने वाले है तब रीवा भी धीरे से बोली अरे मुझे भी नहीं बताया, धमक पड़े बिना बताये बोले सुबह आये है शाम को चले जायेंगे तो एक दिन के लिये क्या बताना। अच्छा है आज ही चले जायेंगे।
नीना ने राहत की सांस ली और अपना काम करके चली गयी। अगले दिन आयी तो भी मेहमान घर मे ही थे।
मुँह बनाती हुयी काम करने लगी और बोली मेमसाब ये गये नहीं, रावी ने भी मुँह बनाते हुये कहा हाँ यार देख ना, बोले थे एक दिन का काम है पर आज इनका काम हो जायेगा, देख बैग भी भर लिये है।
नीना फिर कुछ नहीं बोली। अगले दिन फिर मेहमानों को देखकर अनमनी होंगयी अंदर देखा तो रावी थकी हारी बैठी किसी से मेहमानों की फ़ोन पर बुराई कर रही थी, अब बेचारी क्या बोलती तो अपना काम करके चली गयी।
अगले दिन फ़ोन करके बोली अरे मेमसाब आज मैं नहीं आ पायेगी जल्दी मुझे थोड़ा अस्पताल जाना है बेटे को लेकर शाम को आयेगी आप काम रहने देना मैं कर लेगी आकर।।
तब रावी ने कहा हाँ तुम आराम से आ जाना वैसे भी मेहमान चले गये है तो कोई जल्दी नहीं है। थोड़ी है देर मे नीना हाजिर थी आते ही बोली मेरा मर्द आ गया था तो वो ले गया बच्चों को।। और अपना काम करने लगी।
रावी की तरकीब काम कर गयी थी। वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी ये सोच कर की अब इसे कभी नहीं बताऊंगी की मेहमान कब आ रहे है कब जा रहे है।।