Sneha Dhanodkar

Drama Inspirational

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Sneha Dhanodkar

Drama Inspirational

सासू माँ की PHed

सासू माँ की PHed

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दिव्या की शादी हुए अभी साल भर ही हुआ था, वो सबको समझ गयी थी साल भर में। वैसे भी घर में था ही कौन। माँ, उसके पति सागर और वो गिनती के तीन लोगों का परिवार था। हां आने जाने वाले रिश्तेदार बहुत थे, कोई ना कोई अक्सर आता जाता रहता था।

माँ की बहुत पहचान थी। उन्होंने सबसे अच्छे रिश्ते बना कर रखे थे और उनका व्यवहार भी इतना अच्छा था कि हर कोई उनसे मिलने आता रहता था। दिव्या को भी अच्छा लगता था सबका आना। वो सबको हमेशा कुछ नया बनाकर खिलाती। माँ की सहेलियों को तो वैसे भी खास ही समझती थी।

माँ उसे हमेशा आगे पढ़ने के लिये प्रोत्साहित करती रहती थी। उसने स्नात्तकोत्तर कर रखा था, पर माँ हमेशा उसे कहती उसे जो भी आगे करना है वो करे। घर की चिंता ना करे घर वो संभाल लेंगी।

आज माँ की किटी थी। आज कई साल बाद माँ ने अपनी पुरानी सहेलियों को भी बुलाया था। सबकी बातों से पता चला कि माँ इनके होने के बाद पीएचडी कर रही थी। सिर्फ थीसिस जमा करना ही बाकि बचा था। पर अचानक सागर के पापा चल बसे तो सब छूट गया। माँ ने उसके बाद सागर पर पूरा ध्यान लगा दिया था। पूरे घर की जिम्मेदारी उन पर आ जो गयी थी। पर माँ ने सब बहुत अच्छे से संभल लिया था।


आज दिव्या को समझ आ गया था कि माँ क्यूँ उसे बार बार पढ़ने को कहती थी। उसने एक दिन सागर से माँ की पढ़ाई के बारे में सब पूछा, फिर उनकी सहेलियों से मिलकर सब जानकारी ली और माँ की पीएचडी के बारे में सब कुछ पता कर लिया।

वो अब अक्सर बाहर जाने लगी थी। जब माँ ने पूछा कहाँ जाती हो? तो उसने बताया कि माँ कुछ आगे पढ़ाई की सोच रही हूँ। बस उसी सिलसिले में थोड़ा बाहर जाती हूँ। माँ खुश हो गयी, उन्हें अपने अधूरे सपने को पूरा करने की आशा दिव्या में दिखती थी। वो चाहती थी कि जो पीएचडी वो पूरी नहीं कर पायी वो दिव्या करे।

एक बार जब दिव्या ने माँ से कहा कि माँ मैं पीएचडी करने की सोच रही हूँ तो उनकी तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था। फिर दिव्या ने कहा लेकिन माँ आपको मेरी मदद करनी होगी। दिव्या की सास मीरा जी ने उसे हर संभव मदद की। यहाँ तक कि उसकी पूरी थीसिस खुद उन्होंने ही लिखी। हर टॉपिक दिव्या उनके साथ साझा करती थी, उनकी मेहनत रंग लायी थी। आज आखिरी दिन था थीसिस जमा करनी थी।

तभी दिव्या को फ़ोन आया कि उसकी माँ की तबीयत खराब है तो उसने मीरा जी से पूछा अब क्या करूँ? मीरा जी ने कहा तुम अस्पताल जाकर आ जाओ, तब तक मैं तुम्हारे थीसिस जमा करने की आवश्यक कार्यवाही करती हूँ।

दिव्या ठीक है बोल कर निकल गयी। जब मीरा जी कॉलेज पहुँची तो देखा वहाँ दिव्या, सागर उनकी सहेलियां सब पहले से मौजूद हैं। उन सब को देखकर वो दंग रह गयी, तब सामने से उनकी वो प्रोफेसर मैडम आ रही थी जिनके मार्गदर्शन में उन्होंने पीएचडी की शुरुआत की थी। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था।


तब दिव्या ने उनके हाथ से थीसिस की फ़ाइल ली और उसे मैडम को दे दिया। सबने बहुत तालियाँ बजायी और मैडम ने उन्हें एक कागज दिया जिसमें लिखा था।  

"मीरा सिन्हा को अपनी पीएचडी पूरी करने हेतु बधाई।"

माँ की आँखों में आंसू आ गए थे, उन्होंने तो सोचा भी नहीं था। वो बहुत खुश थीं और उनसे भी ज्यादा खुश थी दिव्या। उसने माँ को कहा कि माँ आपको अपने सपने पूरे करने के लिये किसी और का सहारा लेने की जरूरत नहीं है, आप खुद ही काफ़ी हो।

आज मीरा जी को तो लगा था कि उन्हें सारे जहां की खुशियाँ हासिल हो गयी थीं।



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