पंचायत
पंचायत
काजल और मोहित की शादी को दो महीने हुए थे, दोनों की लव मैरिज थी। बाकी सब बातों से तो काजल को कोई समस्या नहीं थी, बस उसे बुरा लगता था कि ज़ब भी वो और मोहित कहीं बाहर जाते सासू माँ हमेशा पंचायत करती थी।
कहाँ जा रहे हो, किसके साथ जा रहे हो, कब तक आओगे, खाना खा कर आओगे या नहीं। कितनी बजे तक आओगे और भीं ना जाने क्या क्या।
वो कुछ बोलती नहीं बस उनके सवालों का ज़वाब दे देती। पर उसे अच्छा नहीं लगता था।
अगले हफ्ते राखी पर ज़ब मायके आयी तो उसे बहुत अच्छा लगा। शादी के बाद पहली बार मायके आयी थी तो सासू माँ ने सबके लिये तोहफ़े मिठाई दियें थे। और बाकी क्या क्या करती हैं कैसे करती हैं सब बताने मेँ पूरा समय निकल गया।
अगले दिन वो अपनी बहन स्वरा के साथ बैठी उसे बता रही थी वैसे तो मेरी सासू माँ बहुत ही अच्छी हैं पर वो ना ज़ब पंचायत करती हैं तो मुझे बहुत गुस्सा आता हैं। लगता हैं बोल दूँ की आप पंचायत मत किया करो। फिर दोनों हसने लगी। काजल की माँ ने ये बात सुन ली उन्हें अच्छा नहीं लगा।
अगले दिन स्वरा और काजल घूमने जा रही थी, माँ कुछ बोलती उससे पहले ही काजल बोली माँ हम दोनों फ़िल्म देखने, उसके बाद शॉपिंग करेंगे फिर मेरी सहेली निया से मिलकर आएंगे। खाना मत बनाना। कहते हुए वो दोनों निकल गयी।
रात को सब बैठे मजे कर रहे थे तब माँ ने काजल से कहा, बेटा आज अच्छा हुआ तुम मुझे सब बता कर गयी थी तो तुम्हारे देर से आने पर भीं चिंता नहीं हुयी।
इस काजल हँस कर बोली, माँ आप ऐसा क्यूँ बोल रही हो, मैं तो हमेशा से कही भीं जाती थी तो आपको बता कर ही जाती थी ना।
माँ भीं मुस्कुराते हुयी बोली , हाँ बेटा। पर ये ही बात तुम अपनी सास के साथ क्यूँ नहीं करती? तुम अगर बाहर जाते समय उन्हें पहले ही सब बता दोगी तो उन्हें पंचायत नहीं करना पड़ेगी। उन्हें भीं चिंता होती होंगी ना, अब तुम उनकी जिम्मेदारी हो।
काजल की शक्ल देखने लायक थी, उसने गर्दन शर्म से नीचे कर ली और माँ मुस्कुरा रही थी।
काजल ने कान पकड़ कर कहा, मुझे माफ कर दो, मैं समझ गयी आपका कहना। मैं आगे से इस बात का ख़्याल रखूंगी।
फिर पूरा परिवार मस्ती मेँ लग गया।
माँ ने मन ही मन सोचा ये लम्हा हर नयी शादी शुदा लड़की की जिंदगी मे आता है पर अगर बच्चों को प्यार से समझा दिया जाये तो जिंदगी मे बहुत सी मुश्किलें दूर हो जाती है।
