Sneha Dhanodkar

Drama Tragedy Inspirational

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Sneha Dhanodkar

Drama Tragedy Inspirational

सेवा मे मेवा

सेवा मे मेवा

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सोना कि सासू माँ उसे सुनाते हुये फ़ोन पर कह रही थी, अरे क्या करें हमारी बहु का भाई नहीं है ना तो उसकी मासी से लेकर नानी तक सभी का सब उसे ही करना पड़ता है।

उसके घर में कुछ भी हो निकल लेती है मेरे बेटे को लेकर। अब कुछ बोल भी तो नहीं सकते ना।

बोलो तो बहु से ज्यादा तो बेटे का मुँह फूल जाता है। अब क्या करें किस्मत है।

उनका बोलना खत्म हुआ ही था देखा बहु बड़ी चिंतित हो फोन पर बात कर रही थी। उन्हें लगा फिर फिर कोई बीमार हुआ, और गुस्से में बहु से बोल पड़ी अब कौन मर गया।

बहु कि आँखों में आँसू देख सकपका गयी। तभी बेटा भी चिंतित सा आया। कुछ बोलती उससे पहले ही वो बोला माँ जीजाजी को हार्ट अटैक आया है। अब अपने ही बोले शब्दों पर उषा जी को अफ़सोस हो रहा था।

कुछ बोल पाती उससे पहले ही उषा जी चककर खाकर गिर गयी। बेटी निया कि शादी हुये अभी तीन साल ही हुये थे एक छोटा सा बेटा भी था उनका।

सोना ने उन्हें संभाला फिर सब अस्पताल गये। जैसे ही डॉक्टर ने कहा कि भला हो आपकी बहु का जो सही समय पर सही दवा लेने कि सलाह दी उनको ज्ञान था इसीलिए इनकी जान बच गयी। या कहो कि आपके पुण्य कर्म है कि ये आपके घर कि बहु है वरना तबीयत ख़राब होने पर लोग खुद ही घबरा कर सब भूल जाते है दवा देना तो दूर मरीज को संभालना भी उनके लिये मुश्किल हो जाता है।

लगता है बहुत सेवा कि है सबकी आपकी बहु ने, और उसका मेवा आपको आज मिल गया।

माँ चुपचाप आँसू बहा अपने सुबह कहे शब्दों पर मन ही मन पछता रही थी। शायद सोच रही थी बेटा ठीक कहता है सेवा करने का मौका हर किसी को नहीं मिलता क्योंकि पुण्य सबकी किस्मत में नहीं होता।।

डॉक्टर के जाते ही उन्होंने बहु से माफ़ी मांगी और उसे धन्यवाद भी दिया।


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