हँसी-ठट्ठा
हँसी-ठट्ठा
टीवी में नजारा देखने लायक था, ६२ साल का डमरू दास सिर्फ निक्कर पहने नंग-धडंग पिट रहा था, पीटने वाली एक कद्दावर महिला थी जो अपनी जूती से उसकी पिटाई कर रही थी । डमरू दास भी अच्छा खासा तगड़ा था, वो भी उस महिला के साथ हाथापाई कर रहा था लेकिन जितनी वो हाथापाई करता उतनी ही जूती उसे और पड़ती ।
पीटते-पीटते वो महिला चिल्ला भी रही थी, "और घूम गली में निक्कर पहन के……और छेड़ आती-जाती लड़कियों को…….और निकाल अपनी पडोसनो की इज्जत का दिवाला........."
इस पिटाई का नजारा देखने के लिए भीड़ इकट्ठी थी, कई लोग मोबाइल से इस पिटाई का वीडियो बना रहे थे । पिटाई से पस्त डमरू दास अब बोरी की तरह जमीन पर पसरा हुआ था, अब वो महिला जले हुए इंजन आयल से उसका मुंह काला कर रही थी ।
उस महिला ने उसे एक सफेद बोर्ड और काला बोल्ड मार्कर दिया और चिल्ला कर बोली, "बहुत पोस्ट डालता है न तू रोज; आज तुझसे ऑनलाइन पोस्ट डलवाते है; चल लिख........"
उस महिला जो लिखने को बोला उसे लिखने में डमरू दास ने ना-नुकर की तो उसके गंजे सिर पर चार जूती और पड़ी, मार से घबरा कर वो जल्दी से बोर्ड पर लिखने लगा ।
थोड़ी देर बाद नजारा इस तरह था कि मुँह पर कालिख पुता डमरू दास गले में जूतों का हार पहने खड़ा था और उसने अपने हाथों से लिखे बोर्ड को अपने हाथों में ऊँचे उठा रखा था, बोर्ड पर लिखा था-
मैं आवारा लफंगा हूँ, द्विअर्थी घटिया पोस्ट लिखता हूँ, मेरी पोस्ट पर मुझे बढ़ावा देने वाले मुझसे बड़े आवारा लफंगे है।
उसके बाद उस महिला ने उसे लगभग २०० मीटर तक उसी तरह जूता परेड कराई और फिर भीड़ में गायब हो गई ।टीवी स्क्रीन से ये नजारा हटा और स्क्रीन पर अब एक पुरुष टीवी एंकर और तीन महिलाएं एक गोल मेज के पीछे बैठे नजर आने लगे ।
"गंगा, जमुना और सरस्वती जी ये क्या था और क्यूँ था......?" टीवी एंकर बोला ।
"रवि जी साफ़-साफ़ दिख रहा है एक महिला एक आवारा इंसान की छेड़खानी से परेशान हो उस पर अपना गुस्सा निकाल रही है.........लेकिन ये सवाल हमसे क्यों पूछा जा रहा है?" उन तीनों में से एक महिला गंगा जी बोली ।
"सवाल इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि आप तीनों, 'जवाबी दल,' के नाम से एक संस्था चलाती हो जो ऐसे ही कारनामों के लिए मशहूर है........" टीवी एंकर बोला ।
"रवि जी ये बिलकुल गलत इल्जाम है, ये सही है कि हम महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों से लड़ते है लेकिन हमारी लड़ाई हमेशा कानूनी होती है । ये बूढ़ा पुरुष जो पिट रहा है; इसके खिलाफ हमारे पास शिकायत आती रहती है कि ये सोशल साइट्स पर महिलाओं के ऊपर द्विअर्थी पोस्ट लिखता रहता है, गली की बहन बेटियों के सामने सिर्फ निक्कर पहन कर घूमता रहता है........." जमुना जी ने कहा।
"बस इसी वजह से आपने इसकी इतनी पिटाई करा दी........?"
"गलत इल्जाम न लगाएं.......हम इस व्यक्ति के खिलाफ लिखित शिकायत पुलिस को दे चुके है और हमें पुलिस कार्यवाही का भरोसा व इंतजार है......" इस बार जवाब गंगा जी ने दिया ।
"सरस्वती जी क्या आप लोग विचारो की अभिव्यक्ति के अधिकार के खिलाफ शिकायत कर रही है?"
"नहीं रवि जी ये विचारो की अभिव्यक्ति की आजादी उस हद तक स्वीकार्य है जब तक वो दूसरे व्यक्ति के मान की हानि न करने लगे, ये बूढ़े भद्र पुरुष दूसरों की पत्नियों और अपने घर से अलग महिलाओं पर ऐसी पोस्ट डालते है जैसे यही संसार के एकमात्र पुरुष है और उन महिलाओं के पति.......अरे भाई इतने ही जवां मर्द हो तो एक आधी पोस्ट अपने घर की महिलाओं पर भी तो डाल दो न........या दूसरों की पत्नियों की इज्जत का दिवाला निकालने का ठेका ले रखा है..........?"
"मैंने भी इन सज्जन की पोस्ट देखी है लेकिन उन पोस्ट पर महिला और पुरुषों के हँसी-ठट्ठे भरे कमेंट देख कर तो नहीं लगता है कि उन महिला-पुरुषों को उनकी सोच और पोस्ट से कोई आपत्ति है।" एंकर बोला।
"अगर कुछ लोग मिलकर ऐसी द्विअर्थी पोस्ट पर हँसी-ठट्ठा करते है तो उस पोस्ट को स्वीकृति नहीं मिल जाती बल्कि उन हँसी-ठट्ठा करते महिला-पुरुषों के बौद्धिक स्तर पर प्रश्न अवश्य खड़ा हो जाता है।" गंगा जी बोली ।
"आप तीनों की बातों और उस पिटाई करती महिला की बातों में अद्भुत समानता है?" एंकर ने मुस्करा कर कहा।
"वो भी उस बूढ़े भद्र पुरुष की गलत हरकतों के बारे में बोल रही थी और हम भी उसी के बारे में बोल रहे है तो समानता तो होगी ही………" सरस्वती जी बोली ।
"मुझे तो वो हमला प्रीप्लान लगा, जिस प्रकार उस बोर्ड पर लिखवाकर उसकी परेड कराई गई सब स्क्रिप्टेड था......आपराधिक कृत्य था।" एंकर उन तीनों की और अर्थपूर्ण तरीके से देखते हुए बोला।
"आपराधिक कृत्य था तो पुलिस पकडे अपराधी को और दिलाए सजा........." गंगा जी बोली ।
"यानी आप भी मानती है जो हुआ गलत हुआ.......चलिए अब एक अंतिम रिमार्क कीजिए फिर इस कार्यक्रम को समाप्त करते है।" एंकर उन तीनों की और देखते हुए बोला।
"रवि जी दुनिया में हर कार्य की सीमा-रेखा होती है लेकिन वो बूढ़े भद्र पुरुष अपनी सीमा-रेखा लाँघ कर पर स्त्री पर द्विअर्थी पोस्ट बना कर वो स्त्री जाति का चरित्र हनन तो कर ही रहे है लेकिन साथ ही साथ वो हर स्त्री की विवाहेतर संबंधों पर स्वीकृति को बल भी दे रहे है जबकि वास्तविकता का उन्हें ज्ञान ही नहीं है; आज जूते से पिटकर शायद उनके दिमाग का कुछ कचरा निकल गया होगा।
उनकी पोस्ट पर हँसी-ठट्ठा करने वाले; खासकर महिलाएं ये समझने का प्रयास करें कि उनके ऐसी द्विअर्थी पोस्ट पर हँसी-ठट्ठा करने से नारी जाति की गरिमा का हनन हो रहा है? उन्हें सोचना चाहिए कि काजल की कोठरी में जाने से कालिख तो लगती है साथ ही साथ उनकी सोच का स्तर भी दूसरों को परिलक्षित हो जाता है।" गंगा जी बोलकर उठ खड़ी हुई।