गूंज
गूंज
"शिशिर , यहां आओ ... देखो आज का दिन कितना सुंदर है" . समुद्र में आती जाती बड़ी बड़ी लहरें जैसे आकर मुझसे कुछ कहना चाह रही हों ... गूंज लहरों के साथ छप छप कर खेल रही थी तो जल की कुछ बूंदें उसके चेहरे पर पड़ गईं थी और वह सूर्य की रश्मियों के कारण मोती सी चमक कर उसके सौंदर्य को द्विगुणित कर रहीं थीं .
वह गूंज के चेहरे पर फैली हुई खुशी को अपलक निहार रहा था .कितनी मासूम अनछुई निष्कलुष मुस्कुराहट है ... मासूम बच्चे की तरह ....प्रतिउत्तर में वह बस मुस्कुरा दिया था ... गूंज तुम्हारा जैसा आजाद मन कहां से लाऊं ....
उसकी खुली लंबी केश राशि पवन के झोंके से बार बार चांद से मुखड़े को ढकने की कोशिश करती और उसकी पतली अंगुलियां उन्हे हटा देती ....जब शिशिर वहीं खड़ा रहा तो वह एक झटके से उठी और उसका हाथ पकड़ कर रेत पर दौड़ने लगी थीये खुशी के प्यारे पल , अलमस्त माहौल फिर भी वह गंभीर चेहरा लिये खड़ा था ....उसका कारण है ..उसकी शादी तोड़ दी गई है .....
गूंज उसके सपनों की रानी थी , कभी कॉफी , तो कभी डिनर, तो कभी बीच ...इसी तरह सपनीले ख्वाबों में खोये थे ....दोनों तरफ सगाई की तैयारियां चल रहीं थीं ... संगीत , सजावट , शॉपिंग ,एक कलर के आउटफिट्स ...रिंग सेरेमनी का इंतजाम पापा के मनमाफिक न होने से ..उड़ाई जाने लगी धज्जियां , सगाई के उनके ओछे इंतजामों की , उनके उपहारों की मीनमेख और कमियां , कपड़े ब्राण्डेड नही , मिठाई सस्ती वाली आदि आदिमान अपमान को इश्यू बनाकर दो दिलों को अलग कर दिया गया ....
अगली शाम जब वह आदत के अनुसार वहां पहुंचा कि शायद गूंज दिख जाये लेकिन यह क्या वह तो वैसे ही हंसती मुस्कुराती आ खड़ी हुई ... वह आश्चर्यमिश्रित नजरों से देखता ही रह गया ..... हमारी शादी टूटी है तो क्या हुआ ....हम दोस्त तो हैं .....बस फिर क्या वह गूंज के प्यार में खिंचा चला आता और उसकी अल्हड़ मासूमियत पर दिल से मुस्कुरा उठता ...
जिंदगी में पहली बार उसका दिल किसी लड़की के लिये धड़का था और ख्वाब पूरे होने से पहले ही हवा के झोंके से बिखर गये थे ....घर में उसके लिये नये रिश्ते तलाशे जाने लगे थे ....
"‘शिशिर , यह फोटो बायोडेटा देखना , रईस परिवार की लड़की है ...तेरी तो लॉटरी लग जायेगी ...."
"‘मुझे नहीं देखना .." जाने कैसे वह बोल कर बाहर चला गया था .
वह रात दिन अपने को कोसता ...पछताता ...क्यों नहीं बोलता कि उसे गूंज से ही शादी करनी है ....जब वह उसके साथ समय बिताता तो वह स्वयं को उसका गुनहगार मानता .... जाने किस मिट्टी की वह बनी थी , कभी मां की तबियत पूछती तो कभी बहन शिवि का हाल चाल पूछती ... वह कट कर रह जाता ....
एक रात व्हाट्ऐप पर मेसेज था , "कल आ सकते हो साथ में रोने वाली इमोजी .."
वह झटपट तैयार होकर अपनी फेवरेट जगह पहुंचा तो गूंज बैठी इंतजार कर ही थी ... उसे देखते ही वह ताजगी से भर उठा परंतु य़ह क्या ....आज वह सीरियस और उदास थी ....
उसके चेहरे पर अपने प्रति बेरुखी देख वह समझ नहीं पा रहा था कि उसके चेहरे पर कैसे मुस्कान सजा दे..
‘मुझे देखने लड़के वाले आ रहे हैं ....’
‘क्या..... क्या....?’
‘शायद आज मेरी तुम्हारी आखिरी मुलाकात होगी .... कल से मैं किसी और की अमानत हो जाऊंगीं .....’उसकी आंखों से आंसू की बूंदें टप टप कर टेबिल पर गिर रही थीं
गूंज ने एक बार फिर उसकी ओर उम्मीद भरी नजरों से देखा परंतु वह तो कायरों की तरह मौन वैसे ही प्रस्तरमूर्ति बना खड़ा रहा ....
वह झटके से उठी और आंसू पोछते हुई तेजी से चली गई थी
"गूंज... गूंज... मैं तुम्हें कहीं जाने नहीं दूंगा"....उसने फोन लगाया बार बार लगाया लेकिन उसने नहीं उठाया
वह उसकी कायरता को कितना सहती ...आखिर कोई लिमिट होती है ....वह तेजी से उसके ऑफिस पहुंच गया था , "गूंज मुझसे शादी करोगी"... एक सांस में बोल कर वह हांफने लगा था , उसका दिल डर के मारे जोर जोर से धड़क रहा था ...
कही गूंज उसे मना न कर दे ....उसने गूंज के हाथों को पकड़ कर अपनी मुट्ठी में बंद कर लिया था....जैसे कोई जंग जीत ली हो .....