VEENU AHUJA

Abstract

4.5  

VEENU AHUJA

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गर्भवती

गर्भवती

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वह रातभर पूरे मुहल्ले मे , चीखती कलपती रही ' कोई एक खिड़की न खुली ' न कोई एक बंदा बाहर झांका I

कईयों से संसर्ग और बार -बार गर्भवती होना उसके जीवन का आनन्द नहीं अभिशाप था लेकिन जैसे बलात्कार की शिकार युवती को समाज की प्रताड़ना सहनी पड़ती है और बलात्कारी दंभ से छुट्टा घूमते हैं वैसे ही उसके नाम को एक भद्दी गंदी - बहुत गंदी गाली बना दिया गया कि लोग उसे जिह्वा पर लाने से भी कतराते ' ।

दूसरे दिन सुबह दरवाज़ा खोला तो पार्क की मिट्टी में निर्जीव सी पड़ी दिखी, खाने का पात्र खाली था , एक गिलास दूध फ्रिज में बचा पड़ा एक अंडा दो रस उस पात्र में डाल कर मन को प्रफुल्लित करने वाले असीम सुकून के साथ घर लौटी।चाय का कप लेकर बैठी तो याद आया कि कैसे वह जहाँ-तहाँ कुतों के लिए बिस्किट डाल जाने वाले लोगों के ऊपर गुस्सा होती थी , घर के बाहर के प्लेटफार्म पर जब एक पारले जी का पूरा पैकेट डाल गया था तो वहा जमीं चिटियां दरवाजे से अंदर आकर पूरे घर में फैल गयी थी, एकबार तो एक बुजुर्ग को सुबह-सुबह डॉट दिया था कि एक भी बिस्किट सड़क पर बचना नहीं चाहिए, खड़े होकर खिलाइए साथ ही बड़बड़ाई भी थी कि इतना प्रेम इन कुत्तों से है तो जाए ' अपने घर में पालें दो बार बचपन में इन कुत्तों ने उसकी छोटी बहन नेहा को दौड़ा दिया था तबसे वह इनसे चिढ़ती थी 'जब वाट्सअप एफबी पर पशु प्रेमी मदद की गुहार लगाते तो कभी कभी उसे अपराध बोध भी सताता कि वह क्यों इस मूक प्राणी के प्रति इतनी असंवेदनशील है ' ।

लॉकडाउन में वे संवेदनशील मनुष्य शायद बेबस थे और ये प्राणी भूखे ' 'उस कुतिया के चार में से दो बच्चे पहले ही कार के नीचे दब कर मर चुके थे और जब उसके गोलगोल से कुछ दिन के बच्चे को कोई पालने के लिए उठा ले गया था तो वह पूरे दो दिन कू कू कर मुहल्ले भर से बच्चे का पता पूछती रही थी ।आज वो अर्न्तमन का सारा अपराध धूल गया मुझे पता था जब वो बिस्किट दूध देने वाले लोग आने लगेगे मैं शायद पुनः अपने में सिमट जाऊँगी तब तक मैं ही हूँ इसकी अन्नपूर्णा ' ।

धन्यवाद कोरोना काल मुझसे मुझको मिलाने के लिए ' ये महसूस कराने के लिए कि मैं भी हू - संवेदनशील - ।

काले चिकने बालो वाला कैंडी और क्रीम और भूरे रंगवाला जोजो आपका इंतजार कर रहे हैं हमारे मुहल्ले में ' आइएगा ज़रूर ।


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