VEENU AHUJA

Children Stories Comedy

4  

VEENU AHUJA

Children Stories Comedy

काले चटपटे धनिया वाले आलू

काले चटपटे धनिया वाले आलू

2 mins
478


स्कूल को सकूल कहने में जो मज़ा है, वह स्कूल कहने में नहीं ..

वो थोड़ा तुतलाना थोड़ा घबराना, हिचकना ..

बात करने का अनगढ़ अंदाज ..

आज भी कभी ऐसे बोलती हूँ तो लगता है वैसे ही निश्चल हो गयी जैसे हम बचपन में हुआ करते थे ..

जमाने की चालाकियों से दूर ..

भाव जैसे रखते दुनियां .. ऊंगलियों की नोक पर ..

दरवाजे के छोटे गेट के बाहर वह आ जाता था लगभग इंटरवल के पांच मिनट पहले ..

पांच मिनट में झऊआ समेट नदारद ..

मैं ठहरी सीधी, सारे आदेशों का अक्षरशः पालन करने वाली .. तो मेरे लिए संभव नही था

उससे कुछ लेना .

पर, पास मे . खड़े भेलपूरी वाले से भेलपूरी लेते वक्त महक नाक में खुस कर दगा . करने को उकसाती ..

न .. कक्षाध्यापिका ने मना किया था ..

सहेली गुड़िया ने उस दिन जबरदस्ती वो चटपटा काले धनिया वाले आलू का एक टुकड़ा मुंह में डाल ही दिया था ...

पूरे दो दिन उहापोह में रही,

तीसरे दिन दिमाग को चारो खाने चित्त किया ..

सब बच्चे खाते हैं .. ?

कोई नहीं डांटता ?

मैम को भी पता तो चलता होगा ?

कोई बीमार भी नही होता ?

तो . मुट्ठी में पचास पैसे का सिक्का दबाए गेट के पास गयी ..

इधर उधर देखा .. कोई नहीं ..

चुपके से गेट के बीच की जाली से छोटे मुट्ठी बंद हाथों को बाहर कर दिया ..

दबी आवाज़ में बोली ..

आठआने के आलू भैया ..

स्वर्ग जीतने का एहसास था जब आलू लेकर वो स्कूल को मुड़ी ..

फटाक से उसने तेज मिर्ची वाला काला आलू मुंह में डाला ...

छटाक ... एक थप्पड़ उसके गाल पर था ...

प्रधानाचार्य जी ने उसके हाथों से दोना छीनकर कूड़ेदान के हवाले किया .

जोर से डांटते हुए बोले .. जल्दी थूको उधर ...

कितनी बार मना किया गया है ..

पता नही कबके बने होंगे ..

सड़े गले सब आलू होते है इसमें ...

सर .. गेट की ओर मुड़ गए ..

हर दिन इंटरवल होता ..

इंतजार होता ..न होता वो काले चटपटे आलू वाला ...

वो स्वाद ऐसा बसा मन में ..

ढूंढती हूँ उसी काले चटपटे आलू वाले को ...

मुंह पानी से भर गया ..

एक टुकड़ा ही खाने को मिल जाता ...

चलूं .. अष्ठमी का व्रत है .. साबूदाने की खिचड़ी ..

खाएगें न .. मेरे साथ।


Rate this content
Log in