नई मुस्कराहट
नई मुस्कराहट
करवा चौथ की शुभकामनाएं
क्या कह रही हो माँ,
हमेशा तो पैसे बचाने की बात करती हो .
अब जब मैं कह रही हूं ..
दो माह पहले मेरी शादी हुई है, कोई भी साड़ी पहन लूंगी सब नई सी हैं तो आप कह रही है .. नई साड़ी लो, सासू मां भी यही बात कह रही .. क्यों ??
आप भी तो नई साड़ी नहीं पहनती है करवा चौथ में .. ।
मां, सुधा .. बेटी ऋचा की बात सुन मुस्करा दी ..
हां, तो मैं नहीं चाहती तुम वही गलती दोहराओ जो मैंने पहले करवाचौथ पर की थी ..
देखों, अभी पहले करवे पर तुमने कोई साड़ी पहन ली तो नई साड़ी पहनने की परम्परा शुरू नहीं होगी,
दूसरे साल हो सकता है परिवार में कोई ऐसा खर्चा आ जाए कि हाथ तंग हो तब लगेगा .. कोई भी साड़ी पहन ली जाए ..
बच्चा होगा, जिम्मेदारी बढ़ेगी ' खर्चा बढ़ेगा ..
फिर ... करवाचौथ पर नई साड़ी न आ सकेगी ..
कुछ भी ' के साथ एडजस्ट करती रह जाओगी ..
तब मन होगा .. इच्छा और जरूरत भी होगी लेकिन ..
उसको महत्व नहीं दिया जाएगा ..
मध्यम वर्ग के लिए कपड़े भी इंवेस्टमेंट की तरह होते है, परिवार की साख घर की स्त्रियों के पहनावे से चमकती है ।
कभी अचानक चार दिन बाहर जाना हो तो इकट्ठा पैसा कपड़ों पर नहीं लगाया जा सकता .
एक आध ड्रेस ही तो ले पाओगी ..
फिर पति को जिम्मेदारी का एहसास कराना जरूरी है,
खर्चो की आदत पति को डालना जरूरी है ..
अभी अकेला है पति तुम्हारा ..
परिवार बढ़ने पर बढ़ते खर्चे उसे तनावग्रस्त कर सकते है ।
फिर पेट भरा हो तो कभी का उपवास खलता नहीं है,
कभी करवाचौथ पर साड़ी नहीं भी आयी तो मन में कसक न होगी ..
ऋचा मां के मुख से जीवन की नयी व्याख्या सुन रही थी ..
गृहस्थी की गाड़ी अलग ही ढंग से चलती है ..
उसे सीखना होगा ..
अच्छा मां ... इस बार करवा चौथ पर साड़ी लेगी न ..
सुधा ... न ! . अभी पापा अस्पताल से ठीक होकर आए हैं ..
मां ...आप नहीं बदलोगी ..
ऋचा .. इस बार करवाचौथ पर दो साड़ियां लायी ..
एक मां के लिए ..
दूसरी, सासु मां के लिए ..
खुद के लिए .. दो मुस्कराहट ..
उसकी नई सी मुस्कराहट और ज्यादा चमक गयी थी ।