"मन की कोमलता जाहिर मत होने देना तब जब की तुम अब कर्मक्षेत्र में हो।" "मन की कोमलता जाहिर मत होने देना तब जब की तुम अब कर्मक्षेत्र में हो।"
90 के दशक के आसपास जब पेन के ज्यादा विकल्प उपस्थित नहीं थे। 90 के दशक के आसपास जब पेन के ज्यादा विकल्प उपस्थित नहीं थे।
कुछ शैतान बालक लकड़ी की पतली डंडी को पिंजरे में डालकर मूक पंछियों को सताने लगे हैं। कुछ शैतान बालक लकड़ी की पतली डंडी को पिंजरे में डालकर मूक पंछियों को सताने लगे ह...
होली हो या दीपावली का त्यौहार मुझे बस दूर से आनंद लेना अच्छा लगता है ! होली हो या दीपावली का त्यौहार मुझे बस दूर से आनंद लेना अच्छा लगता है !
मैं जिसे आसमान समझ बैठा वो तो छोटी सी मुकाम थी। मैं जिसे आसमान समझ बैठा वो तो छोटी सी मुकाम थी।
पहला या आखरी अपना महत्व बनाये रखता है इनके बिना कुछ भी पुर्ण नही परफ़ेक्ट नही। पहला या आखरी अपना महत्व बनाये रखता है इनके बिना कुछ भी पुर्ण नही परफ़ेक्ट नही।