Kumar Ritu Raj

Children Stories

4.0  

Kumar Ritu Raj

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बौनी उड़ान

बौनी उड़ान

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वो तो बौनी उड़ान थी, वो तो बौनी उड़ान थी।

मैं जिसे आसमान समझ बैठा वो तो छोटी सी मुकाम थी।

वो तो बौनी उड़ान थी,वो तो बौनी उड़ान थी।


आसान नहीं होता कीचड़ से निकल पाना जब आप उस कचरों में एक अलग पहचान बना चुके हो। क्योंकि आपने कभी इनसे ज्यादा बरी दुनियां देखा ही न हो। बड़ी मेहनत से ये कदम आगे बढ़ पाती हैं। चलिए कहानी की और चलते हैं।

राज ना केवल एक आम सा लड़का था जबकि आम सहर में भी रहता था।उसकी केवल एक ही ताकत थी मैथ्स और केवल मैथ्स। उसे सारी पढाई में सबसे ज्यादा मैथ्स में मन लगता था। उनके वर्ग में केवल सिर्फ वही नहीं था जो मैथ्स में ज्यादा ध्यान देता था और भी थे पर वो सबसे कुछ अलग था।

एक वार वर्ग में हुई एक छोटी सी कॉम्पीटिशन में वह प्रथम आ गया। अब वर्ग में उसकी खूब चर्चा होने लगी।वह भी अब खुद की वाह वाही लूटने लगा। शायद ये उसके लिए एक श्राप बन बैठा था। क्योंकि उसे अब बस इतनी सी दुनिया उसे सारा जहाँ लगने लगा था।

अब राज को भी लगने लगा था मानों वो सब-कुछ जानने लगा था।सभी ये मानते थे की वह तो केवल एक वार ही प्रथम आया था। पर ये तो राज की बौनी उड़ान थी।

आखिर नई इम्तिहान का समय आ गया। आज राज खुद के विजय ख्वाबों में डूबा था। एग्जाम में जब उनके सामने प्रश्न पत्र आए तो उनके पैर की जमीन छिन गई।जब परिणाम आया तो सभी खुश थे पर वो नहीं। वो बिना किसे से बात किये घर चला गया।आज वो काफी रोया और कहा जिसे हम समझ रहे थे वो पूरा आसमान था वो तो बौनी उड़ान थी, वो तो बौनी उड़ान थी|


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