Priyanka Gupta

Abstract Inspirational Others

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Priyanka Gupta

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गोल्ड मैडल day-30

गोल्ड मैडल day-30

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"इतनी छोटी सी बच्ची को इतना बड़ा कष्ट । ",8 वर्षीय स्तुति से मिलने आयी किसी एक आंटी ने कहा । 

"क्या होगा इस बच्ची का ?",एक दूसरी आंटी ने कहा । 

"अभी तो इसके सामने पूरी ज़िन्दगी पड़ी है । कैसे कटेगी इसकी ज़िन्दगी ?", किसी तीसरी आंटी ने कहा । 

स्तुति ,सोमेश और कान्ति की एकलौती बेटी थी । हाल ही में हुई एक दुर्घटना ने स्तुति को हमेशा -हमेशा के लिए अपाहिज बना दिया था । डॉक्टर्स के अनुसार स्तुति अब कभी अपने पैरों पर खड़ी होकर चल नहीं पाएगी । स्तुति से मिलने आना वाला हर व्यक्ति स्तुति के आने वाले कल को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर रहा था । चिंता से भी ज्यादा उस छोटी बच्ची पर दया दिखा रहा था । स्तुति को खुद को समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हुआ है । 

वैसे भी हमारे समाज में लड़की को कमतर आँका जाता है । अगर लड़की अपाहिज हो तो वह और दयनीय हो जाती है । अपाहिज लड़की के माँ -बाप को बार -बार यह एहसास दिलाया जाता है कि ,"आप पर बहुत बड़ा पहाड़ टूट पड़ा है । आपकी लड़की की ज़िन्दगी खराब हो गयी है । अपाहिज लड़की की शादी करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है । "वैसे भी हमारे समाज में आज भी लड़की की ज़िन्दगी का अहम् लक्ष्य शादी ही माना जाता है । सेटल होने का अर्थ आज भी कहीं न कहीं शादी होना ही है । 

लोगों की ऐसी नकारात्मक बातें सुनकर स्तुति के मम्मी -पापा भी बड़े निराश हो रहे थे । उनकी यह निराशा धीरे -धीरे अवसाद में बदलने लगी थी । स्तुति के आने वाले कल की चिंता कर -कर के वो लोग अपना और स्तुति तीनों का ही आज बर्बाद कर रहे थे । 

ऐसे में स्तुति के मामा एक दिन उससे मिलने आये । उन्होंने स्तुति के मम्मी -पापा को समझाया कि ,"जो हो गया ,उसे हम बदल नहीं सकते । लेकिन स्तुति के कल को हम आज से भी बेहतर बना सकते हैं । अगर आप हिम्मत हार जाओगे तो स्तुति का क्या होगा । अरुणिमा सिन्हा ,सुधा चंद्रन आदि कई महिलाएँ हैं जिन्होंने अपनी मानसिक मजबूती से शारीरिक कमजोरियों पर विजय पायी हैं । आप स्तुति की ताकत बनो और उसे अपनी जिंदगी में कोई लक्ष्य निर्धारित करने दो । "

स्तुति के मामा की बातों ने उसके मम्मी-पापा पर सकारात्मक प्रभाव डाले। उन्होंने स्तुति को किसी एक फील्ड को चुनने और उसी में अपना बेहतर करने के लिए प्रेरित करना शुरू किया । 

स्तुति ने एक दिन कहा कि ,"मम्मी -पापा मुझे निशानेबाजी सीखनी है । "

स्तुति के मम्मी-पापा ने उसे कोच से मिलवाया और उन्होंने शूटिंग रेंज के पास ही किराए से एक घर ले लिया । स्तुति को बढ़िया से बढ़िया उपकरण दिलवाये । स्तुति पर पूरा फोकस कर सकें इसलिए स्तुति के मम्मी-पापा ने लोगों के कहने के बाद भी दूसरा बच्चे के लिए कभी विचार तक नहीं किया । 

5 साल बाद पैरालम्पिक्स में स्तुति को मिले गोल्ड मैडल ने सभी के मुँह बंद कर दिए थे। 


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