गंगा की मन्नत
गंगा की मन्नत
"एई ई ई...गंगा जल्दी उठ.....
तनिक जल्दी उठ....."
गंगा नींदों में बडबडा रही थी "का हुआ बाउजी सोने दो.अभी अभी तो सोए है.. माई आकर उठा देगी..हमे नहीं उठना बाद में उठेंगे हमे नींद पूरी करने दो"।।
गंगा इतना कहकर फिर सपनों की दुनिया में खो गई..
"अरे बिटिया उठ ना..देख आसमान में काली घटा हो रही है..लागत है बरसात होने वाली है.."
"अरे ई ई गंगा के तो नींदों में रोड़ा नहीं पड़ना चाहिए..बाहर चाहे कुछ भी हो जाए.. तुमरी बिटिया कबू ना उठने वाली.."
हाथ में सिलबट्टा पकड़े बाहर आती गंगा की मां ने कहा..
हमरी एक ही तो बिटिया है क्यों परेशान किया करो इसे..गंगा के बउजी ये बताओ इस बार फसल उगानी है क्या इस बार.. क्या करू सोचु तो बहुत हूं घटा चड़ी तो है तनिक बरसात हो जाए..धरती में जान आजये..जमीन जैसे बंजर पड़ गई, सब किसान भाई दुःखी है..बरसात नहीं अाई तो कर्ज बढ़ जाएगा..
चिंता मत करो..भगवान सब ठीक करेगे..भगवान का हाथ रहता है किसानों पर...
अरे र... बातो बातो में तो भूल गया..खेतो में हल चलाना था.. अगर बरसात हो गई तो तुरंत बीज डाल देगे..." श्यामा ने कहा"
और गंगा अगर जग जाए तो बता देना बाहर देख बरसात आने वाली है.. बिटिया को बरसात में खेलना बहुत पसंद है..
" ठीक है हम बताइए दे " गंगा की मा ने कहा '।।
श्यामा अपने दोनो बैलों को लेकर खेत पहुंचकर.. बंजर जमीन में हल जोतने लगा..लथपथ पसीने से वो आसमान की तरफ देख रहा था.... तभी किसी ने हाथ पकड़ा और पानी का लोटा हाथ में थमा दिया.. झटकर जल्दी से देखा तो उसकी बिटिया गंगा थी..
अरेरेरे.....गंगा उठ अाई तू.. मै तो जगा जगा के थक आया "अरे बउजी मुझे लगा आप मुझे प्यार से थपकी दे रहे हो मुझे गहरी नींद आ रही थी गंगा ने कहा"
"धतत्त त त त... बदमाश होने लगी बिटिया मेरी.. "हसकर श्यामा ने कहा"
तू यहां बैठ आराम से मै खेत में चक्कर लगा कर हल जोत लूं.... बाउजी ये बैल भी कितने कमजोर होने कहा गए ना..
"हा बेटा.. बरसात ना होने के कारण..फसल उग नहीं पाती..ओर इन बेजुबानों जानवरो को खाने को कुछ नहीं मिलता..फिर भी अपने मालिक कि मदद करते है..हमेशा..श्यामा ने कहा"
"बाऊजी रामलाल काका ने फासी क्यूँ लगा ली थी .".
गंगा ने पूछा"
अरे बेटा क्या बताऊं किसानों की हालत ऐसी ही होती है अगर बरसात ना आए और फसल ना उगे तो किसान अपना और परिवार का पेट नहीं भर सकता फसल के लिए लिया गया उधार पैसा.. उनको हजम नहीं होने देता जमीदार अपना पैसा मांगने बार-बार घर आ
ते हैं और घर में फूटी कौड़ी ना होने पर खुद को शर्मिंदगी महसूस होती है बस यही कारण रामलाल के साथ हुआ बेचारे ने कर्जा ले रखा था परेशानी में उसने फांसी के फंदे को अपना कर्ज समझ लिया।।
बऊजी फसल के लिए बरसात जरूरी होती है क्या..
"हां" बिटिया... बरसात के पानी से फसल उगती है.."
गंगा एक दम उठकर भागी..ओर बड़ा सा पत्थर उठा ले आई..उसको खेत के बीचोबीच रोपा..ओर बोली..बरसात के भगवान..आप हमारे सारे खेतो में बरसात कर दो..सभी किसानों के खेतों में बरसात करवा दो..मेरी मन्नात पूरी हो जाएगी..तो इस बार त्याहोर पर मेरे हिस्से का गुड घानी आपको देदुगी..
श्यामा ने कहा" अरे ओ मेरी नादान बिटिया इनसे कुछ नहीं होता..ना जाने कितने किसान हर बार भगवान से मन्नत मांगते है..पर कभी पूरी नहीं होती.. अब बहुत देर हो गई तू घर जा.. माई राह देख रही होगी..मै आता हूं थोड़ी देर में"
गंगा घर जाने के लिए उठी..मासूम सी गंगा अपने होटों को फड़फड़ाते हुए बोलती जा रही थी..देखना बरसात वाले भगवान मेरी मन्नत पूरी करेगे..बस यही बड़बड़ाते जा रही थी...
रात होने को अाई थी..श्यामा घर अा चुका था... खाना खाकर सब सो रहे थे..आधी रात में एकदम से बिजली की गड़गड़ाहट हुईं... श्यामा की आंखे खुली..गंगा की माई लागत है बरसात आने वाली है..बिजली कड़क रही है..
कहीं बरसात नहीं आरी..आप सो जाओ..सुभा से काली घटा छाई थी..हट गई वो भी... भूल जाओ बरसात भी आयेगी...
श्यामा थोड़ा मायूस हुआ..गहरी सांस लेकर सो गया...
गंगा के बाऊजी...गंगा के बाऊजी जल्दी उठिए...उठिए जल्दी.... श्यामा ने आंखे मलते हुए कहा क्या हुआ....
बाहर चलिए जल्दी मेरे साथ...देखिए...
श्यामा भागा सा बाहर गया....देखकर अचंबित हुआ...देखिए ना पूरी रात बरसात होती रही है....
श्यामा का खुशी का ठिकाना ना था..वो खुशी के मारे खेतो की तरफ भागा..... चारो तरफ बहुत बरसात हुईं थी..श्यामा के खुशी के मारे आंखो में आंसू आने लगे..वो घुटने के बल बैठ गया..
और आसमान की तरफ देखकर बोला है!भगवान आपने गंगा की मन्नत पूरी करदी आपका सुक्रिया..
इतनी देर में गंगा भागती हुई आही..बाऊजी बाऊजी.....
देखो बरसात आई थी...मैंने कहा था मा बरसात वाले भगवान मेरी मन्नत सुनेगे।।
हा बिटिया सुन ली तुम्हारी मन्नत भगवान ने...श्यामा ने गंगा को गोद में उठाया और घर की तरफ चल पड़ा....किसानो के चेहरे बरसात के कारण चहक गए थे.!.