"शक " (एक मानसिक अवसाद)
"शक " (एक मानसिक अवसाद)


"सारिका प्लीज आराम से सोने दो मुझे, खर्राटे खर, खर की आवाज़ मेरे दिमाग के अंदर तक जाती है,सिद्धांत ने कहा" ( सिद्धांत और उसकी पत्नी सारिका, और बच्चे मुंबई में रहते है, सिद्धांत एक कंपनी में बतौर अकाउंटेंट के परारम्भिक पद पर है) "आपको दिक्कत है तो दूसरे कमरे में जाकर सो जाइए, मुझे नींद आ रही है, सुबह जल्दी उठना है मुझे। सारिका ने कहा"
सिद्धांत गुस्से में बैठ गया और गुस्से से सोई हुई सारिका को देखने लगा, थोड़ी देर बाद तकिया उठाया और कान को ढककर सो गया।
सुबह उठकर सिद्धांत ऑफिस के लिए तैयार होने लगा, बाथरूम जाने के बाद अचानक से चिल्लाया
"सारिका इधर आओ,"रसोई में निकलकर सारिका बाथरूम गई,
"बोलो क्यूं चिल्ला रहे हो, सुबह सुबह "
" कितनी बार बोला है तुमसे ये मेरी ब्रश साबुन, यहां से वहां मत लगाया करो,"
"कल बाथरूम को साफ किया था हो गया इधर, उधर, बच्चे ने रख दिया होगा।"गुस्से में ठनक कर सारिका वापस रसाई में आग्यी नाश्ता लगा दिया।
नाश्ते के समय सिद्धांत ने प्लेट फेक दी,
"क्या खाना है ये, नमक नहीं है",
सारिका ने कहा " नमक नहीं होता तो डाल लेते नमक ऐसे प्लेट फेकने की क्या जरूरत थी",
रोजाना रोजाना यही हो गया आपका, हर काम में चिक चिक बस यही।
"ठीक है मै जा रहा हूं ऑफिस एक सेकंड सांस भी नहीं लेने देते घर में।"रात को ऑफिस से आने के बाद सिद्धांत ने कहा"
"सुबह दूध वाले से क्या बात हो रही थी इतनी देर ,काफी दिन से देख रहा हूं",
"पैसों का हिसाब कर री थी उसका,, आप पागल हो गए हर बात पर शक करना छोड़ दो" स
ारिका ने कहा,
सिद्धांत धीरे धीरे एक मानसिक बीमारी में घिर गया था, अपनी चीजे को ठीक से रखना बार बार खुद को साफ करना, पत्नी पर शक करना, किसी से बात करने पर उसे गलत नजर से देखना, ये बीमारी बढ़ती जा रही थी, और आगे ये सिद्धांत को किल्लर" बनाने वाली थी।सिद्धांत का मन अब ऑफिस के कम में नहीं लगता , अब धीरे धीरे पत्नी को हरकतों पर शक करने लगा,सुबह सुबह दूधवाला दूध देने आते वह चुपके देखता, कभी उन दोनों का हसना, उसके मानसिक बीमारी को बड़ा रहा था,अब वह साजिश करने जा रहा था, उसने दूधवाले को करने की साज़िश रची,अब वह दिन रात कंप्यूटर, इंटरनेट पर सर्च करने लगता अलग अलग साजिश के तरीके सोचने लगे।एक दिन सुबह सुबह दूध वाले के घर पहुंचा,
"दूध वाला देखकर बोला साहब! आप यहां कैसे, मै आरा था दूध देने आज लेट हो गया"
"मेरी पत्नी के साथ कब से चक्कर है तेरा बता,"सिद्धांत ने कहा"
"साहब ब ! ये क्या कहा रहे हो आप! मै क्यों बहनजी से ये सब आप गलत समझ रहे हो"
सिद्धांत ने हाथ पकड़ा और पेट में छुरी घोंप दी और उस छुरी को अपने रुमाल से साफ किया और खून के धब्बों को साफ किया, और हाथ धोकर वापस अपने घर आ गया,
"आज बहुत देर हो गई दूध वाले भैया नहीं आए।"सारिका ने सिद्धांत से कहा"
"आ जाएगा क्या जल्दी है", सिद्धांत ने कहा"
सिद्धांत ने ऐसे ही ना जाने कितने मर्डर किए शक के कारण, ये एक मर्डर मिस्ट्री थी, जिसे केवल एक मानसिक रोगी ने रची, वह अलग नहीं दिखता और समाज में ही रहता है उसकी कोई अलग पहचान नहीं है, और ऐसे लोगो की तलाश और पहचाना मुश्किल हो जाता है।।