Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Ragini Pathak

Abstract Inspirational

3  

Ragini Pathak

Abstract Inspirational

गलतफहमी

गलतफहमी

5 mins
311


निशा "माँ सही कहती थी अगर गलती से किसी ग़लत राह पर चल पड़ें, उससे पहले दिशा बदल लेना बहुत ज़रूरी है. गलत राह पर चल के हम अपने अहं को तृप्त कर सकते हैं, कुछ समय के लिए जीने की खुशी भी बन सकते हैं, लेकिन कभी न कभी अपराधबोध से ग्रसित हो ही ही जाते हैं ...दिशा

तू क्या सोचती हैं ?"


"हम्म ! बिलकुल सही कहा था आउंटीजी ने"


"निशा... पता है अब लगता है कि समाज द्वारा बनाए नियम किसी कारण से बने हैं.युवा अवस्था में हमें लगता है कि वे हमारी इच्छाओं का दमन करते हैं, हमें अपनी मर्ज़ी से नहीं जीने देते, लेकिन कही ना कहीं ये समाज का डर ही हमे गलत करने से रोके हुए भी रहता हैं।"


"हाँ! दिशा....अब मुझे भी ये बातें सच लगती हैं।"


"पता है दिशा जब मम्मी बोलती थी कि क्या हर रोज लड़ती झगड़ती रहती हो ...एक दिन यही याद कर के हँसी भी आएगी और रोना भी। तब ये बात समझ मे नहीं आती थीतुझे याद है जब हम बनारस में रहा करते थे।, कैसे तंग गलियों में भी लाइन खींच के एक दूसरे के साथ खेलते थे।


"छूती ती ती ता" एक सांस में बोल । तेरी साँस टूटी तू आउट समझी।"


"पोसम पा भाई पोसम पा सौ रुपये की घड़ी चुराई अब तो जेल में जाना पड़ेगा"........ हाहाहाःहाहा

अरे धीरे हँस कोई सुन लेगा।ना जाने ऐसे कितने खेल थे जो हम एकदूसरे के साथ खेलते थे आज की पीढ़ी को तो एहसास भी नही ऐसे खेलो का।सुबह सुबह स्कूल यूनिफॉर्म पहन दो चोटी लाल रिबन से बना के हाँथ में हाँथ डाल के चल देते थे।हाँ !निशा..और तुझे याद हैं मेरी चोटी तुझसे लंबी बनती थी तो तूने कैची से मेरी चोटी ये कहते हुए काट दी कि मैं 6 दिन तुझसे बड़ी हूं तो बाल भी मेरे बड़े होने चाहिए। उसदिन कितनी मार पड़ी थीं मुझे...

और वो चंपा चाची जब हमने रस्सी से फंसा के गिराया था।गिरते ही बोली " हाय मेरी कमर तोड़ दी....जल्दी तुम दोनो की शादी हो और तुम दोनो अलग हो जाओ मैं तो भोले बाबा से यही मांगती हुँ।"तूने तपाक से कहा"हे भोले बाबा! हम शादी के बाद भी अलग ना हो... हमारी शादी एक ही घर में हो"

उसदिन तो हम दोनों को मार पड़ी थी।दो दिन तक घर मे बंद रखे गए थे हम पहली बार नही। मिले थे हम दो दिनों तक।"


पता नहीं कब लड़ते झगड़ते हम बड़े हो गए। तुझे तो मैं किसी और से बात भी नही करने देती थी। ये कह के की तू सिर्फ मेरी सहेली है। और तू मान भी जाती थी।तुझे याद है हमने कॉलेज बंक कर के टकसाल में फ़िल्म देखी थी। पहली बार ।


हाँ ....दिशा और पीछे वाली सीट पर तेरे चाचा चाची बैठे थे और हमारी चोरी पकड़ी गई थी।कितने खुश थे जब हमारी शादी एक ही घर में एक ही दिन तय हुई। सब कहने लगे….भोलेनाथ भी इस दोस्ती के साथ है।


हम्म!निशा


खुशी खुशी सब कुछ चल रहा था लेकिन हम दोस्ती को भूल देवरानी जेठानी कब बन गए और क्यों? काश ! वो काला दिन हमारे जीवन मे ना आया होता।"


दिशा "जाने दे अब पुरानी बातों को सोच के क्या फायदा...उस बात को बीते तो दस साल हो गए।"


"नहीं निशा! तेरे जगह मैं होती तो ये कुर्बानी कभी नहीं देती।"


"एक बच्चे को मां से दूर करने का पाप किया है मैंने" गंगा मैया की कसम ...लेकिन जब तेरे बारे में सुना तो मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ।"


दिशा....


"निशा मुझे बोलने दे आज ....प्लीज्"


हम दोनों प्रग्नेंट हुए... "मेरा बच्चा नही बच सका"तूने जुड़वाँ बच्चो को जन्म दिया।"तूने माँजी के एक बार कहने औऱ मेरी हालत देख के अपना बच्चा मेरी गोद मे दे दिया। ये कहते हुए कि क्या फर्क पड़ता हैं इसे मैं अपने पास रखु या दिशा के ...और मैंने क्या किया .... तुझे अपने बच्चे से ही दूर कर दिया। ये सोच के की कही तू उसपे अपना हक ना जमाने लगे और वो तुझे ही अपनी माँ समझे... बच्चें के खोने का दर्द क्या होता हैं जानते हुए भी तुझे ये दर्द दिया मैंने।पूरे दस साल बाद लौटी मैं। इन दस सालों में बात भी नहीं कि तुझसेउसदिन जब भाईसाहब और माँजी का फोन आया कि निशा की तबियत बहुत नाजुक है उसे अगर किडनी नही मिली तो ... बचाना मुश्किल होगा।इतना सुनते तो मुझे सब कुछ याद आ गया.... मन आत्मग्लानि से भर गया।"


"दिशा लेकिन अब तो ये जिंदगी तेरी दी हुई है। अगर तू मुझे अपनी किडनी ना देती तो ... ना जाने क्या होता।मैं तेरा ये एहसान कभी नहीं भूलूंगी।"


"निशा एहसान नहीं किया .मैंने...जब डॉक्टर ने आ के कहा कि मैं तुझे किडनी दे सकती हूं मेरी खुशी तुझे बता नही सकती... तू तो मेरी दोस्त है दोस्त के लिए तो जान भी हाजिर होती हैं।"


"ये अस्पताल का बेड जहाँ हम दूर हुए थे वही आज एक भी हो गए। अब तो बस तेरा साथ चाहिए। भोले बाबा का बहुत बहुत धन्यवाद।"


'गंगा मैया की कसम... निशा! अब बस तेरे साथ ही रहना हैं। अब कभी ये गलती दुबारा नही होगी..कल सुबह हम घर जाएंगे एक साथ। ये रात हमारी जिंदगी का सब अँधेरा दूर कर गयी। नयी सुबह की शुरुआत हम नए उमंग का साथ करेंगे। इसमे मुझे बस तेरा साथ चाहिए। अपनी दोस्ती सेलिब्रेट करेंगे।

हैप्पी फ्रेंडशिप डे निशा"


"हैप्पी फ्रेंडशिप डे टू यु दिशा...."



Rate this content
Log in

More hindi story from Ragini Pathak

Similar hindi story from Abstract