एक्स्ट्रा इनकम
एक्स्ट्रा इनकम
दरवाजे से रति की निगाहें हटने का नाम नहीं ले रही थी डोरवेल बजते ही लगभग भागती सी लपकी। चमेली की जगह सुमित को देखकर निराश हो गई।
यह थी रति सिंह.... सुंदर मृदुभाषी सदैव कुछ अच्छा करने के लिए तत्पर और शहर के प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ अखिल सिंह की धर्मपत्नी तथा साथ ही साथ स्वयं भी एक सुप्रसिद्ध समाज सेविका।
शहर की लगभग हर संस्था अपने यहां इन्हें आमंत्रित करके अपने जलसों की शोभा बढ़ाती थी।
आज भी इसी प्रकार का दिन था , रति को आज जनसेवा भवन में आमंत्रित किया गया था।
सुमित अखिल के अस्पताल का एक कर्मचारी था जो कि कुछ दवाइयां व पर्चे आदि घर पर रखने आया था।
आज घरेलू सहायिका नहीं आई थी यह जानकर वह दूसरी व्यवस्था कराने चला गया।
तभी गौरी चमेली की बेटी , जिसकी उम्र मात्र 8 वर्ष थी , अपनी मां के ना आने की सूचना देने आई थी कि उसकी मां आज बहुत बीमार थी।
यह सुनकर रति का दिमाग खराब हो गया।
जब गौरी कहकर वापस जाने लगी रति ने उससे कहा कि अगर आज का काम मां के स्थान पर गौरी कर देगी तो वह उसे अलग से पैसे देगी।
सुनकर गौरी तैयार हो गई ।
गौरी को काम समझाकर रति जलसे में जाने की तैयारी में लग गई।
गौरी के नन्हें हाथ बड़ी लगन से काम में लग गये।
सारा काम गौरी के बस का नहीं होने पर भी रति स्वार्थ वश काम कराती रही।
किसी प्रकार काम खत्म करके जब गौरी रति के पास गई तो उसके हाथ छिल गए थे।
रति को थोड़ी आत्मग्लानि हो रही थी। गौरी को पैसे देते हुए बोली, "तुम्हारे हाथ छिल गये।"
गौरी मासूमियत से बोली, "कोई बात नहीं मैडम मां कहती है एक्स्ट्रा इनकम भाग्य से होती है।"
आज जलसे की रौनक देखते ही बनती थी।
उस पर रति का हुआ सम्मान रौनक ला रहा था। बाल श्रम पर वाद विवाद प्रतियोगिता की जज जो बनी थींं।
अंत में जब सभा को संबोधित करने को मंच पर बुलाया गया तो रति को लगा जैसे उसका गला अवरुद्ध हो गया है उसके कान में गौरी के कहीं शब्द गूंज रहे थे।
हमेशा शानदार भाषण देने वाली रति बिना एक शब्द बोले मंच से नीचे उतर आई।