एक वो कहानी

एक वो कहानी

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मुझे बचपन में कहानी सुनने का बहुत शौक था और मेरा बचपन ननिहाल में बीता है तो मुझे एक कहानी याद है, जो सुनने के लिए मैं हमेशा तैयार रहता था और मुझे वो कहानी सुनने के बाद बेहद खुशी होती थी।

आज भी याद है जो नानी कहानी सुनाने के लिए मुझे रुला दिया करती थी। आज जब मैं जवां दिखने पर उनकी आंखों में नमी छा जाती हैं कि कितना मासूम था मेरा शशि आज कितना बड़ा हो गया है। आज जब मैं ननिहाल जाता हूं तो लगता है कि क्यों न फिर कहानी सुने।

उसी लहजे में जिस तरह बचपन में रो कर सुनता था। मैं आज ननिहाल आया हुआ हूं और अभी अपनी नानी के पास बैठा हूं जो मुझे कहानी सुना रही हैं। एक हल्का सा जो चेहरा झुर्रियां पड़ने से बुढापे की रौनक बढ़ा देता है। जैसे जैसे सुन रहा हूं  उनका हर लफ्ज़ लिख रहा हूं।

वो कहती हैं, "एक बार एक आदमी जो अपने ससुराल जाता है। रास्ते में उसे तीन गधे एक गड्डे में गिरे हुए नजर आते हैं। वो उन्हें देखकर आगे बढ़ जाता है , और ससुराल चला जाता है। वो ससुराल के घर पहुंच जाता है। खाने का समय हो चुका था तो घर में बात हो रही थी कि " बेटी रमा "

" हां मां " - एक तेरह वर्ष की लड़की कहती हैं।

मां - " हमने खाना खा लिया है बाकी जो बचा है वो बाहर किसी कुत्ते को डाल दें बेचारा भूखा होगा।

रमा - " मां मैंने तीन रोटी बनाई थी दो हमने खा ली है और एक बची है जो कुत्ते को डाल दी है।

अब मैं सो जाऊं। "हां बेटा सो जा "

घर बन्द होने ही वाला था कि वो बाहर खड़ा व्यक्ति बातचीत सुनने के बाद दरवाजा खटखटाकर अंदर आता है।

"मां प्रणाम" "जीते रहो बेटा "

"बिटिया कैसी है।"

" मांजी वो ठीक है।

" रमा देख बेटा जीजोजी आये है बाहर आ " - मां बोली।

अरे ! जीजू आप कब आए दीदी कैसी है।

"वो अच्छी है।"

इतनी बात के सासू बोली बेटा - "खाना लगा दूं।"

अरे ! मांजी आप खाना कहां से लगाओगे। आप ने तीन रोटी बनाई थी दो आप खा गए और एक रोटी कुत्ते को डाल दी।

"बेटा आपको कैसे पता चला।"

मांजी मुझे हर चीज का पता है।

मैने शास्त्रार्थ का ज्ञान ग्रहण किया है जिससे मुझे सब पता चलता है।

"वो आदमी झूठ बोलता है।"

रात को सब सो जाते है।

सुबह सवेरे में उठकर चाय कि चुस्की लेते हैं।

तभी एक कुम्हार की महिला आती हैं और पूछती है कि "आपने कहीं तीन गधे देखे है क्या"

मेंरे पति को दरबार में मटकियां रखकर आनी है।

"मेरे जीजाजी आए हुए हैं और उन्हें सब पता चलता है " - रमा रोबीली आंखों से बोली।

वो कुम्हारन अंदर जाकर उस आदमी से पूछती हैं।

तो उस आदमी ने बताया कि आपके गधे गड्डे में गिरे हुए पड़े हैं ले आओ।

उसने खाने के बारे में बता दिया क्योंकि वो सब सुन रहा था।

अब उसने बता दिया क्योंकि वो ससुराल आते समय देखकर आया था।

जैसा कुम्हारन कहकर गई थी उसका पति मटके लेकर राजा के दरबार गया हुआ था।

वहां एक विशेष प्रकार की बैठक थी जिसमें चर्चा हो रही थी कि रानी का नौ लखा हार चोरी हो गया और उस चोर को पकड़ने वाले को उचित इनाम दिया जाएगा।।

वो कुम्हार घर से सुनकर आया था कि वो आदमी सबकुछ बताता है तो क्यों न उस आदमी का पता बताकर में भी इनाम पाऊं।

" जनाब एक आदमी है हमारे गांव में जो सबकुछ जानता है।

उसे बुलाइए " - कुम्हार उत्सुकता से बोला।

राजा ने आदेश दिया कि उस आदमी को इज्जत और सम्मान सहित लाया जाए।

राजा के आदेशानुसार उस आदमी को इज्जत और सम्मान के साथ लाया गया।

जैसा कि विदित है उसे बताना था कि चोर कौन है।

आज उसका झूठ पकड़ा गया तो उसने रात भर का समय मांगा।

राजा ने शर्त रखी थी कि अगर चोर को नहीं पहचान पाया तो मौत की सजा मिलेगी।

रात को सोते सोते एक रट लगा रखी थी - " आजा मेरी निद्रा सुबह तो मरना है।"

ये रट सुनकर एक औरत आयी और बोली - " महाशय चुप हो जाइए मेरा ही नाम निद्रा है और मैं यहां नौकरानी हुं और मेंने ही वो चुराया था अब वापिस उसी खूंटी पर रख दिया है , आप प्लीज़ सो जाए और मेरा नाम मत बताइएगा अन्यथा मुझे फांसी दी जानी है।"

वो आदमी संतुष्ट हो कर सो गया।

सुबह हुई तो बोला - आप का हार उसी खूंटी पर है जहां से चोरी हुआ था।

वह उचित इनाम पाकर अपने घर चला गया।

इसे कहते है - भोले का भगवान बेली।।

इसी के साथ अपनी भी कहानी ख़तम।

इन होठों ने हिलकर मेरे दिल में तहलका मचा दिया।


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