एक तीर दो शिकार
एक तीर दो शिकार
रात्रि का 11 बजा था... तिमिर की कालिमा गहराती जा रही थी , उसका दिल आशंकाओं से डूबता जा रहा था। ऑपरेशन थियेटर का टिम टिम करता बल्ब कभी दिलासा देता प्रतीत होता तो कभी नई आशंकाओं को जन्म दे देता .. गंभीर मरीज के ऊंघते रिश्तेदारों के उदास चेहरे पर भी तनाव और बेचैनी उसकी उदासी को बढा रही थी .. नर्सों की आवाजाही की आहट वहां पर बैठे हुए सभी लोगों के दिलों की धड़कन को बढा देती।आशा भरी नजरें सिस्टर पर केंद्रित हो जातीं परंतु वह कभी मुस्कुराती हुई तो कभी थकी नजरों से देख कर आगे निकल जाती।
तीन घंटे में उसने सारे देवी देवताओं से सोनिया के ठीक हो जाने के लिये प्रार्थना और मनौती मान ली थी।. सिद्धिविनायक गजानन मेरी सोनिया को ठीक कर दो मैं पैदल नंगे पैर के तुम्हारा दर्शन करने आऊंगा... वह पल पल उस घड़ी को कोस रहा था जब सोनिया ने उससे आइसक्रीम पॉर्लर चलने की जिद् की थी।
सोनिया स्वभाव से जिद्दी है।. जो सोच लेती है वह करके ही मानती है ... वह मना करने के लिय़े वह तरह तरह के बहाने बनाता रहा था परंतु वह भला कब मानने वाली थी उसने बाइक स्टार्ट कर ली , तो मजबूरन् उसको उसके साथ आना ही पड़ा था।
‘’’रोहन , आज बाइक मैं चलाऊंगी ‘’ कहते हुए उसने बाइक स्टार्ट कर ली थी और मजबूरन उसको पीछे बैठना ही पड़ा था। वह खुशी से गुनगुना रही थी , उसने उसे अपने कान के पास बुलाया और प्यारा सा चुंबन उसके गालों पर अंकित कर दिया था। वह एक बार थोड़ा लड़खड़ाई तो वह नाराज होकर बोला था , ‘’बाइक से उतरो। तुम्हें ठीक से चलाना नहीं आता।. ‘’
‘’रोहन बस थोड़ी दूर ही तो जाना है। लौटते में तुम ही चलाना।.’’ और बस क्षणांश में ही उसके हाथ डगमगाये थे और सामने से आती गाड़ी की लाइट में उसकी आंखें चौधिया गईं थीं वह उछल कर एक तरफ गिरी और वह कुछ समंझ पाता तब तक ट्रक उसको कुचलता हुआ तेजी से चला गया था वह बाइक के साथ दूसरी तरफ गिरा था ..इसलिये उसके घुटने और कोहनी छिल गई थी लेकिन ट्रक सोनिया के हाथ को कुचलता हुआ तेजी से भाग गया था। उसने नंबर नोट कर लिया था लेकिन उस समय उसे अपनी बेबसी पर रोना आ रहा था ... वह मदद के लिए चारों तरफ पुकार रहा था , परंतु वाह री दुनिया।. कोई अपनी गाड़ी नहीं रोक रहा था। खून से लथपथ सोनिया उसकी आंखों के सामने बेहोश पड़ी थी। तभी दैवयोग से पुलिस की जीप दिखी और आनन फानन एंबुलेंस में सोनिया को लेकर मेडिकल कॉलेज आ गई। वह एमरजेंसी में एडमिट हुई और तुरंत उसको ऑपरेशन के लिए ले गये थे। ऑपरेशन के लिये परमिशन के कागज पर दस्तखत करते हुए उसके हाथ थर थर कांप रहे थे ... वह विश्वास ही नहीं कर पा रहा था कि उसकी सोनिया का एक हाथ कुचल गया था .... और वह ऑपरेशन थियेटर में है।. वह मन ही मन में। सोचने लगा था। डॉक्टर का जीवन भी कितना कठिन होता है। रोगी के साथ परिवारीजनों की आशा भरी नजरें उसके चेहरे पर टकटकी लगाये देखती रहतीं हैं। तभी ओ. टी. की रेडलाइट बंद हुई थी और थोडी देर में ही डॉक्टर मित्रा बाहर आये थे। वह तेजी से उनकी ओर लपका था ...’’ यंगमैन , तुम मत घबराओ , टाइम लगेगा लेकिन तुम्हारा बीबी पूरी तरह ठीक हो जायेगा।उसकी हड्डी बाहर निकल आया है , इसलिये ऑपरेशन में ज्यादा देर लगा।.उसका खून बहुत निकल गया है .. इसलिये अभी वह खतरे में है....’’’ कुछ दिनों तक वह आई . सी .यू. में डॉक्टर के सुपरविजन में रहेगी ......’’’ ‘’जब कंडीशन ठीक होगी तो कमरे में शिफ्ट कर देंगें।.’’ उसकी आंखे छलछला उठी तभी सोनिया की मां जया जी तेजी से उसकी तरफ आती हुई दिखीं थीं। वह उनके कंधे पर सिर रख कर बिलख पड़ा था ..
जया जी सरकार में राज्यमंत्रीं अभी अभी बनीं थीं , वह रोहन से रूखे स्वर में बोलीं ,’’ तुम वही बोलना , जो वकील कहेगा।. यह कहीं नहीं जाना चाहिये कि बाइक सोनिया चला रही थी।. ‘’’वह नाराजगी भरे स्वर में बोलीं ,’’ तुम्हारे घर मैंने गाड़ी और ड्राइवर भेजा था तो बड़े नाक वाले बन गये और मेरी बेटी के जीवन को खतरे में डाल दिया।. यदि उसे कुछ हो गया तो मैं तुम्हें बर्बाद करके छोड़ूंगी।’’’ अभी प्रेस वाले आ रहे होंगें।. तुम्हें कुछ भी बयान देने की जरूरत नहीं है।.’’ रोहन को जबर्दस्ती हॉस्पिटल के बेड पर लिटा दिया गया। अब वह मात्र दर्शक बन चुका था। जया जी ने प्रेस को बताया कि विपक्षी पार्टी ने जानबूझ कर उनकी बेटी और दामाद पर हमला करवाया। बेटी सोनिया तो अपनी एक एक सांस के लिये संघर्ष कर रही है और दामाद रोहन भी सीरियस रूप से जख्मी है और कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है।..
रोहन जया जी के बदले तेवर देख हैरान था।. इस समय उन्होंने एक तीर से दो शिकार किये थे।.चूंकि रोहन उनके साथ रह कर घर जमाई बनने को तैयार नहीं हुआ था। और अब सोनिया घायल है तो उसकी देख भाल की जरूरत है तो उसे मजबूर होकर उनके घर पर ही रहना पड़ेगा।दूसरी ओर उन्होंने जबर्दस्ती विपक्ष के ऊपर साजिश करने का इल्जाम लगा कर मामले को राजनीतिक रंग दे दिया और सरकार में अपनी स्थिति को बखूबी से मजबूत कर लिया था ..... वह उनके फैलाये हुए जाल में पूरी तरह फंस चुका था।.
रोहन के मन में प्रश्न चिन्ह उमड़ घुमड़ रहा था कि यह जया जी का राजनैतिक पैंतरा तो नहीं। परंतु विश्वास नहीं हो रहा था कि अपने फायदे के लिये कोई अपनी बेटी के जीवन को भी क्या खतरे से डाल सकता है
उसका अंतर्मन विश्वास करने को तैयार नहीं हो रहा था..... परंतु किसी भी स्थिति से केवल नेता ही अपने वाक्चातुर्य के द्वारा मनमाफिक फायदा उठा सकते हैं।. इस मुश्किल क्षणों में भी उसके चेहरे पर मुस्कान छा गई थी।.
वह जाल में फंसे पंछी की तरह अपने पंख फड़फड़ा रहा था।...लेकिन उसे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था।. इस समय उसे सोनिया से ज्यादा अपनी चिंता हो रही थी।..रोहन ने अपनी आंख बंद कर ली थी और मजबूरी में परिस्थिति के आगे अपने हाथ खड़े कर दिये थे।
