एक निर्णय के विविध दृष्टिकोण
एक निर्णय के विविध दृष्टिकोण
सी बी एस ई की बारहवीं की कक्षा के विद्यार्थियों की परीक्षा न करवाकर वैकल्पिक रूप में केवल इच्छुक विद्यार्थियों के ही परीक्षा में शामिल होने के निर्णय पर फोन के माध्यम से बच्चों की प्रतिक्रिया जानने का प्रयास किया। कुछ बच्चे बड़े ही प्रसन्न लगे। जबकि कुछ बच्चे इस निर्णय के कारण यदि दुःखी न कहें जाएं तो प्रसन्न भी नहीं थे। फोन के माध्यम से बच्चों ने बड़े ही बेबाक तरह से अपनी प्रतिक्रिया दी।
पहली बारी तो होशियार की ही थी। होशियार ने कहा-"सर,यह तो बड़ा ही अच्छा हुआ।यह तो वही बात हुई कि हर्र लागी न फिटकरी, रंग भी आ गया चोखा।मुझे तो लगभग यह भरोसा था।"
दूसरे बच्चे वीरेश का कहना था-" इससे तो मेहनती,मेधावी बच्चों और केवल भटकने वालों में के रिपोर्ट कार्ड को देखकर उसके आधार पर कोई अंतर ही करना यदि असंभव नहीं तो कठिन अवश्य हो जाएगा।"
गौरव ने कहा-"इच्छुक विद्यार्थियों को परीक्षा में सम्मिलित होने की वैकल्पिक व्यवस्था एक उत्कृष्ट निर्णय है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। हमें निराश होने की बजाय इस चुनौती का बड़ी सूझबूझ और आवश्यकता पड़ने पर मार्गदर्शन भी प्राप्त करने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए।"
अब मुझे समझ आ गया कि नेता ही नहीं बच्चे की सोच का कैनवास काफी विस्तृत है।
