Indraj Aamath

Abstract Drama Crime

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Indraj Aamath

Abstract Drama Crime

एक कहानी ऐसी भी

एक कहानी ऐसी भी

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एक भाई, तीन बहिन और माता पिता का एक परिवार गरीबी में गुजर बसर कर रहा था। पिता की धार्मिक कार्यों में रुचि थी, इसलिए वह ज्यादा वक्त अपने परिवार को नहीं दे पाता था। प्रारंभिक जीवन बड़ा दयनीय था। कभी कभी दिन में दो वक्त का भी खाना नसीब नही होता था। माता पिता द्वारा लड़के को प्राइवेट स्कूल में डाला गया लेकिन कभी कभी समय पर फीस भी नही चुक पाती थी। बडी सिस्टर की पढ़ाई भी अन्य भाई बहनों के लालन पालन की वजह से नही हो सकी। लेकिन लड़का पढ़ने में ठीक था इस वजह से आगे चलकर अनुदानित स्कूल में उसका चयन हो जाता है। यही से शुरू होती है उस मासूम बच्चे की कहानी। 

उस लड़के को पता है कि यदि उसने अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया तो उसका भविष्य पूरी तरह तबाह है, उस लड़के ने उस स्कूल का फायदा उठाया और फिर स्नातक के लिए समाज के ही एक अनुदानित हॉस्टल में प्रवेश लिया। वहां पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की तथा परस्नातक के फाइनल वर्ष में उसका चयन सरकारी नौकरी के लिए हो जाता है। उसने अपनी नियुक्ति का भी इंतजार नही किया तथा किसी परिचित से उधार पैसे लेके अपनी दोनों बहिनों को जयपुर में रेंट पर घर लेके अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाया। वह जानता था कि नौकरी तो लग ही गई है अब नही तो थोड़े दिनों बाद स्थिति ठीक हो जाएगी लेकिन बहिनों के पास जो समय है अभी पढ़ाई का वह बड़ा मूल्यवान है। वैसे भी गांव में लोग लड़कियों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देते है ज्यादा से ज्यादा दसवीं तक किसी सरकारी स्कूल में पढ़ाई करा के शादी कर देते थे, जैसे की उसकी बड़ी बहिन के साथ हुआ। उन्हें पांचवी तक ही पढ़ाया गया फिर बाल विवाह कर दिया गया जब वह लड़का स्वयं खुद तीसरी कक्षा में पढ़ रहा था। 

उस लड़के ने अपनी बहिनों को जयपुर में शिफ्ट किया और खुद छत्तीसगढ़ चला गया नौकरी करने। उसने फिर आगे की तैयारी भी जारी रखी और आखिर कार उसका चयन आईएएस में एलाइड सर्विस में हो जाता है। अपनी पूरी लाइफ में मात्र 65000 हजार रूपये पढ़ाई पर खर्च करके वो अपना मुकाम हासिल कर लेता है। एक अभाव भरी जिंदगी से निकलकर वो एक सम्मान भरी जिंदगी हासिल कर लेता है। अब आगे वह अपनी बहनों को भी सिविल सेवा के फील्ड में लाने के लिए उन्हें दिल्ली ले आता है। लेकिन उन्हें वो मुकाम हासिल नहीं हो पाया। एक सिस्टर का अध्यापिका के पद पर चयन हो गया और दूसरी अभी प्रतियोगी परीक्षाओं में लगी हुई है।

अपने प्रारंभिक जीवन का अधिकांश समय उसने अपने करियर को बनाने में निकाल दिया। गांव, समाज, लोगों से दूर ही रहा। लेकिन सम्मानजनक स्थिति में पहुंचने के बाद उसे आशंका भी नही थी कि एक लड़ाई फिर से लड़नी पड़ेगी। जहां पहली लड़ाई उसने अपने करियर के लिए लड़ी वही दूसरी लड़ाई करियर से उपजी दूसरे लोगों की महत्वाकांक्षाओं की वजह से लड़ी। उसे खुद पता नही था कि उसकी शादी का सौदा किन किन लोगों के बीच हुआ जा रहा था। शुरुआत में कुछ समस्याएं जरूर हुई, आखिरकार वह इसमें सफल रहा और उसने स्वयं फैसले लेकर एक अच्छा जीवनसाथी की तलाश पूर्ण की। वह अब अपने जीवन में खुश था। उसके ऑफिसर भी कहने लगे कि यह शादी के बाद बहुत खुश रहने लगा है। लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी। अबकी बार वह अपने सगों के द्वारा ही ठगा गया और ऐसा जिसकी की उसने कल्पना भी नहीं की थी। 

गरीबी से उठकर कठोर मेहनत करके उसने अपना करियर जरूर बना लिया लेकिन इस दौरान उसकी जो सोच विकसित हुई उसमे वह अपने आप को समाज के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाया। उसने किसी तरह अपनी बहिनों को पढ़ाया था लेकिन उसकी शादी के वक्त वह जरूर मात खा गया। और मात भी ऐसी कि जिससे वह कई दिनों तक ऊबर नहीं पाया। उसने सोचा भी नही था कि जिन बहिनों के करियर के लिए उसने दिन रात एक किया, उनके अच्छे जीवन की अभिलाषा की वजह से उन्हें गांव से शहर लाकर पढ़ाया, वहीं उनकी शादी में मोटा दहेज ना देने की वजह से उसे जिल्लत झेलनी पड़ेगी। हां, यह सच है कि उन्होंने शादी तय की थी जब कोई डिमांड नही रखी थी, जिसकी वजह से उस लड़के ने शादी की व्यवस्था में काफी पैसा खर्च किया। यह सारा पैसा भी उसने लोन लेकर किया। क्योंकि वह अपनी कमाई का सारा पैसा पिछले कर्ज और पढ़ाई पर खर्च कर चुका था। 

जब शादी के बाद एक रस्म के हिसाब से उसे अपने कुछ परिवार जनों के साथ सिस्टर को लेने के लिए गया तो वह खुश था कि सब कुछ अच्छे से संपन्न हो गया। उसे जरा सा भी अहसास नही था कि एक ज्वालामुखी उसके आने का इंतजार कर रहा था जिसके बाद उसके जीवन के कई भ्रम दूर हो जाएंगे और एक अशांति का दौर शुरू हो जायेगा। वो जैसे ही सिस्टर की ससुराल में घुसा तो उसका स्वागत एक गाली के साथ हुआ। अगले कुछ घंटे वह बिना सिर ऊपर किए लगातार अपनी बेइज्जती सहता रहा। उसके द्वारा किया गया शादी का सारा बंदोबस्त सर्कस का मैदान बता दिया गया, अच्छा से अच्छा फर्नीचर दिया गया उसे सुखी लकड़ी का बारिता बता दिया गया, यहां तक की शादी में दहेज में जो जेवरात दिए गए उसे पीतल बता दिया गया। लड़के की बहिन, लड़के की मां और उसके पिताजी ने अगले कुछ घंटो के लिए मोर्चा संभाल लिया था। वह अंदर ही अंदर घुटता रहा, सोचता रहा कि शायद सिस्टर कुछ बोलेगी कि मैं जॉब करती हूं तो क्या चाहिए तुम्हे, शायद सिस्टर का हसबैंड बोलेगा कि मम्मी पापा क्या चाहिए आपको कौनसे जमाने में रहते हो आप जो दहेज के लिए परेशान कर रहे हो लेकिन उनमें से कोई नही बोला। वह लड़का समझ जाता है कि शायद उसकी सिस्टर बहुत खुश है, उसने सारा अपमान का घूंट पी लिया और किसी तरह अपने आंसू और गुस्से पर काबू पाया, साथ में आए परिवारजन भी इसी वजह से चुप रहे कि वह कुछ नही बोल रहा तो सिर्फ चुप रहने में भलाई है। उस लड़के को गुस्सा इस बात पर आ रहा था कि जब दहेज के इतने बड़े लालची थे तो ये बात पहले ही कर लेनी चाहिए थी। शायद ये रिश्ता फिर कभी नही होता।  

धीरे धीरे समय गुजरता गया और सिस्टर के ससुराल वालो का चेहरा पूरी तरह सामने आता गया। उनके घर नही गए तो नाम रखा गया, सिस्टर से बात कम होने पर सिस्टर को बोझ समझने वाला बता दिया गया, उनके स्वागत सत्कार के लिए कुछ देने पर यह कहके अपमानित किया जाने लगा कि इससे ज्यादा तो हम गरीबों को दे देते है, शादी के वक्त सिस्टर की सासू के लिए जेवर ना बनाने के लिए भी रोज लांछन दिया जाने लगा। अब हर बात बर्दास्त से बाहर होती जा रही थी। अब समझ में आ गया कि अब भी समाज में लड़की वाले सेवक है और लड़के वाले मालिक है। लेकिन वह समय गुजारता गया की कोई ना उसकी बहिन खुश है तो हर अपमान बर्दास्त किया जा सकता है। 

 शादी के लगभग सात महीनों बाद एक दिन उसके फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट का नोटिफिकेशन आता है। यहां से एक ऐसी नई कहानी का जन्म होता है जो उसके लिए अविश्वसनीय थी, एक तरफ तो उसे शादी बाद ऊपजे हालात से लड़ने की हिम्मत दे रही थी दूसरी तरफ उसे अंदर से तोड़े जा रही थी। उसने कभी सपने में भी नही सोचा होगा कि यह फ्रेंड रिक्वेस्ट का नोटिफिकेशन उसकी लाइफ में फिर से हलचल पैदा कर देगा। किस्मत से उस समय सिस्टर भी आई हुई थी। उस लड़के ने पूछा कि बहिन ये जीजा की प्रोफाइल पिक वाली किसी लडकी की फ्रेंड रिक्वेस्ट मेरे पास आई है क्या है ये। सिस्टर के चेहरे पर तनाव की लकीरें खींच आई, उसने तुरंत कहा कि ये ऐसे ही हैं इसको स्वीकार मत करना और ब्लॉक कर देना। 

उस लड़के ने सोचा कि कोई ऐसे ही फिरकी ले रहा है। उस बात के लगभग 7 दिन बाद फिर से उस लड़के के पास उसी फ्रेंड रिक्वेस्ट वाली आईडी से मैसेज आया कि आप लोगों ने अच्छा नही किया, आप लोगों ने मेरी जिंदगी बरबाद कर दी। आप लोग जीत गए मैं हार गई। तुरन्त उसने पूछा कि आप कौन और ऐसी बाते क्यों कर रही हो तो एक नई ही कहानी सामने आ रही थी। तब समझ में आया कि क्यों सिस्टर ने उसे ब्लॉक के लिए बोला था क्यों भाई के अपमान के बाद भी सिस्टर के चेहरे पर शिकन तक पैदा नही हुई। उस लड़की का सिस्टर के हसबैंड के साथ कई सालों से अफेयर रहा था, दोनो दिल्ली में साथ ही रह रहे थे, लड़की स्पोर्ट कोटे से असम की तरफ से खेल रही थी। लड़के के घरवालों को दोनों का अफेयर स्वीकार नहीं था। जब शादी की बाते हुई तो लड़के वालों को लगा कि लड़की के भाई भाभी अच्छी पोस्ट पर हैं बिना मांगे बहुत पैसा मिल जाएगा लड़की जॉब वाली भी मिल जायेगी और असम राजस्थान के बीच रिश्ता भी नहीं होगा। लड़के ने भी असम वाली लड़की को बोल दिया कि लड़की वालों ने दिन रात मेरे पेरेंट्स को परेशान कर दिया तो मुझे मजबूरी में शादी करनी पड़ी वरना प्यार तो तुम्हे आज भी उतना करता हूं। इससे उसे भी असम लडकी से छुटकारा मिल जाता।   

वही इन सबमें महान तो सिस्टर निकली। जब उसे पहले से पता था कि लड़के का किसी लडकी से अफेयर है फिर भी रिश्ते को शादी तक ले गई और अपने भाई से इन बातों को छिपाया। उसे पता था कि यहां पर उसे जयपुर में शिफ्टेड ससुराल मिल जायेगी, इसलिए शादी से पहले उस लड़की को उसने आऊट किया, फिर लड़के वालों की डिमांड पूरी करने की कोशिशें अप्रत्यक्ष रूप से करने लगी। शादी से पहले भी पता था की लड़के की फैमिली लालची है फिर भी उसने सिर्फ जयपुर शिफ्ट होनेकी वजह से भाई के अपमान पर मौन साधे रखा और जब भाई ने पूछा की सिस्टर यह लडकी कौन है और ये क्या चल रहा है तो उसे सीधा कह दिया की भाई आप अपने काम से काम रखो, हम दोनो अपनी जिंदगी में खुश है उस लड़की से चैट करके अच्छा नहीं किया, हमारी जिंदगी में कोई भी हस्तक्षेप स्वीकार नही है। और उस लड़की से बात करने की कोई जरूरत नही है। 

उस दिन वह लड़का समझ गया कि आखिर ये मजबूरी थी कि भरी सभा में भाई की फजीहत को मुस्करा के टाल दिया गया वही पिछला इतिहास का पन्ना ही पलटा था कि भाई को ही कई सारी हिदायते दे दी गई। वह अब समझ नही पा रहा था की जिस बहन के लिए उसने इतना कुछ किया, गांव से शहर यहां तक की दिल्ली लाकर पढ़ाया, जिनकी वजह से वो 13 साल नोकरी के बाद भी एक साधारण जिन्दगी जी रहा है वहां भाई की बेइज्जती होने पर एक उफ्फ तक नहीं निकली। वह लड़का विचारहीन और मजबूर सा खड़ा आकाश की तरफ सुन्न नजरों से देखने लग जाता है। उसकी आंखों में से धीरे धीरे अश्रुधारा बहने लग जाती है।


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