बीवी और दाल बाटी
बीवी और दाल बाटी
कभी आपको लगा है कि आपने खाने में सोचा की शायद आपको आज घर में पनीर कोफ्ते मिलेंगे और बेसब्री से ऑफिस का काम किया और गाड़ी स्टार्ट करके घर की तरफ उन पनीर कोफ्ते का अदृश्य स्वाद लिए १२० की स्पीड से चले जा है। आपकी लार जमीन पर गिरी भी नहीं और आपका घर आ जाए। बहुत से लोगों ने सोचा होगा लेकिन कितने लोगों के नसीब में सोचा हुआ ख्वाब पूरा हुआ है। इसका उत्तर हर किसी से शायद नहीं में मिलेगा। सच भी है। आपको पनीर तो नहीं लेकिन लौकी, बैंगन, दाल इनमें से किसी एक की सब्जी जरूर मिली होगी।
ऐसा ही आज मेरे साथ हुआ है। आज जैसे ही मैं घर को लंच में लौटा तो सबसे पहले मैंने बीवी की तरफ एक मुस्कान फैलाई। ये मुस्कान की कीमत आप सबको पता होनी चाहिए। जिसको नहीं पता वो शादी के कुछ साल बाद बीवी के साथ में तो नहीं जरूर एक वकील के साथ खड़े मिलेंगे। फिर हाथ मुंह धोया और बीवी के पास जाकर अगले कदम के रूप में उसका सिर चूमा और कहा कि क्या बात है एकदम झक्कास लग रही हों।
आप सोच रहे होंगे कि बीवी ने आपको गले लगा लिया होगा या फिर तुरंत रसोई में जाकर आपके लिए पनीर कोफ्ते थाली में सजा कर ला रही होगी। लेकिन मैं आपको फिर याद दिला दूँ की आपका ये अनुमान फिर से पूर्णतया फैल जरूर हो गया।
मैंने जैसे ही इतने प्यार के जवाब में कुछ उत्साही और याचक नजरों से बीवी की तरफ देखा तो बड़ी मासूमियत से जवाब आया " सिर को चूमने की सजा के तौर पर आज का खाना आप बनाओगे।"
अब आप लोग क्या सोच रहे होंगे लेकिन मैं जरा सा भी विस्मित नहीं हुआ। क्योंकि ऐसा जवाब कोई पहली दफा थोड़ी आया है। अब तो ये आम बात है। मेरे मन में आया कि कह दूँ " प्लीज थोड़ा थका हुआ हूं। पनीर कोफ्ते तो दूर की बात है कांदा रोटी ही ले आओ, मैं खुशी खुशी उनको ही चबा जाऊंगा। " लेकिन नहीं कह सका। " अरे बस खाना, इसमें भी इतना बोलने का क्यों कष्ट किया, सिर्फ इशार
ा ही कर दिए होती। चलो मैं जाता हूं किचन में।
अब मुझे पूरी उम्मीद है आप सब लोग मेरे ऊपर हंस रहे होंगे। लेकिन एक बार आप भी मेरी जगह रखकर सोचो कि आप कौन सा झंडा गाड़ देते। मैंने कम से कम उसकी हां में हां मिलाकर खोया कुछ नहीं बहुत कुछ पाया ही है। अब ये मत पूछना की क्या पाया है वो सर्वविदित है।
मैंने ऑफिस की ड्रेस हेंगर पर लटकाई और एक वीर सेनापति की तरह से अपने युद्धक्षेत्र रसोई की तरफ मजबूती से अपने कदम बढ़ा दिए। जैसे ही किचन में गया तो मेरी तो आवाज़ ही निकल गई। मैं चिल्लाते चिल्लाते चुप हो गया। रसोई में जो देखा उसका वर्णन तो किया ही नहीं जा सकता। सच में बीवी को समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हैं।
मेरे कदम ठिठक गए रसोई का विहंगम दृश्य देख कर। एक तरफ अरहर की दाल बनी हुई थी जिसमें से तड़के की महक आ रही थी। दाल के ऊपर का फ्लेवर देखकर ऐसा लगा जैसे संजीव कपूर ने होम डिलीवरी की हो। दूसरे बर्तन में प्याज, मिर्ची और नींबू कटे हुए थे। तीसरे बर्तन में तो क्या बताना मेरी मनपसंद पनीर की भुर्जी । मेरे मुंह से तो लार ही टपकने लग गई। और अंत में बाटी वो भी कुरकुरी सी घी में गच्च की हुई। सच में बीवी कहती कुछ और करती कुछ और ही है। अब भूख जो शायद पहले वायुमंडल के किसी जोन में खो गई थी वो फिर से गिरती पड़ती दौड़ी चली आई।
अब आप फिर से सोच रहे होंगे कि आगे क्या हुआ होगा। मैं फिर से अपनी बीवी के पास गया और बोला की ये सब करने की क्या जरूरत थी। कितना टाइम बर्बाद हो गया ना आपका। मुझे पहले ही कह देती कि आज दाल बाटी खानी है मैं छुट्टी ही कर लेता। और बीवी की तरफ कृतज्ञता की निगाहों से देखने लगा। चलो पनीर कोफ्ते तो नहीं लेकिन राजशाही दाल बाटी तो मिल गई। और फिर मैं वापिस रसोई में खाना लगाने की तैयारी में लग गया।