क्या बताउं तुम कैसी हो - (अंतिम भाग )

क्या बताउं तुम कैसी हो - (अंतिम भाग )

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अब आप सोच रही होगी कि मेरे अंदर ऐसी क्या कमियाँ हो सकती है? रेहान आखिर कौन सी कमियाँ गिनाना चाहता है ?

आप बेसब्री से आगे पढ़ना चाह रही हो ताकि कमियाँ जान सके। बस....यही एक छोटी सी कमी है आप में। आपके पास संयम का अभाव है, आप चाहती है कि जिस वस्तु की आपको लालसा हो वो तुरंत आपको मिल जाए। लेकिन सर्व विदित है कि कोई वस्तु जो हमे आसानी से प्राप्त हो जाए उसका महत्व नहीं के बराबर होता है। और हर महत्वपूर्ण कार्य कठिन मेहनत और समय मांगता है।

किसी ने ठीक ही कहा है कि "धैर्य वह वजह है जिसके कारण हाथी मन भर खाता है जबकि कुत्ता एक एक टुकड़े के लिए दर दर भटकता है क्योंकि वह धैर्य से हीन होता है।"

मेरी एंजेल, तुम सर्वगुण संपन हो बस ये छोटी - छोटी कमियाँ है जिनको नहीं भी सुधारों तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि तुम जैसी भी हो मेरे लिए ईश्वर का अनमोल तोहफ़ा हो।

तुम्हें याद है प्रिये ! एक बार किसी महिला ने आपसे कहा था कि आप शहर की रहने वाली हो तो आपको गाँव में शादी करने की क्या जरूरत थी और फिर आपको शायद उसकी इस बात का बुरा भी लगा। आपके चेहरे के हावभाव देखकर वह महिला एक विजयी मुस्कान लिए वहां से चली गई

इस भौतिकवादी युग में लोग समझते है कि शहर में अच्छा घर होना संपन्नता का प्रतीक माना जाता है जबकि मेरे विचार इसके एकदम विपरित है। जिस परिवार में बिना लिंगभेद किए सबको समानता का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सभी के लिए आदर का भाव हो, वही असली घर होता है जिसकी नींव काफी मजबूत होती है।

बस आपसे एक छोटी सी गुज़ारिश है कि कुछ लोग अपने पड़ोसी की तरक्की से जलते है इसलिए वो अपना हाथ वहां रखते है जहाँ कमजोर नस है। फिर वो लोग आपके घर को बेघर होने के लिए दिन रात एक कर देते है। शायद मैं जो कहना चाहता हूं वो आप समझ गई होगी। ख़ुशियाँ अक्सर अंदर से निकलती है बाहर से तो अकड़ ही आएगी। और जिसको अकड़ आ गई समझो वो अंदर से बहुत दुखी है।

ओ मेरी याशी ....ज्यादा दुखी मत होना, ये सभी आपकी कमियाँ नहीं है। आप कभी घर से बाहर नहीं निकली हो इसलिए आपको क्या पता होगा कि दुनिया एक तरफ जहां रंगीन है वहीं दूसरी तरफ बड़ी संगीन भी है। आप मेरी एक खुद्दार दोस्त भी हो। और जो भी मेरा दोस्त होता है वह जितना बाहर से मजबूत है उससे कहीं ज्यादा अन्दर से मजबूत ज़रूर निकलेगा।

आज मुझे कुछ याद करके बहुत हंसी आ रही है। जब हमारी शादी हुई थी तो सभी को लगा था कि शायद हम लोग हनीमून के लिए किसी हिल स्टेशन या विदेश जाएंगे। हम लोगों ने अपने पासपोर्ट तो शादी से पहले ही बनवा लिए थे। लेकिन आप ठहरी मेरी ऐसी मोहतरमा जिसने रोमांटिक हनीमून को एक धार्मिक पैकेज में बदल दिया। सबसे पहले आपने मुझे सोमनाथ के दर्शन करवाए। मुझे उस दिन खुद के ऊपर गर्व महसूस हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि आपने सोलह सोमवार के व्रत एक अच्छे पति के लिए रखे हो और भगवान ने आपके लिए योग्य वर फिर मुझे चुना मतलब मैं सोलह सोमवार लायक हूं।


उसके बाद फिर आप मुझे द्वारिका ले गई। जहां पर कृष्ण भगवान का जन्म हुआ। और वहां से सीधे आप मुझे मुंबई के गई सिद्धिविनायक के दर्शन कराने। महालक्ष्मी के दर्शन को तो कैसे भूल सकते है। जैसे एक मेले में दो भाई बिछड़ जाते है वैसे ही आप भी वहां बिछड गई। किसी के फोन से कॉल करके अंतत: हम वापिस मिल गए। शायद दुनिया का ये पहला ऐसा शादीशुदा जोड़ा होगा जो हिल स्टेशन, गोवा या विदेश में हनीमून जाने की बजाय जाकर धार्मिक यात्रा के लिए निकल गए हो।

मेरी लाइफ... लिखने को तो अनगिनत यादें है लेकिन कहीं तो कलम को रोकना पड़ेगा वरना अंतिम सांस भी कलम के आखिरी शब्द याशी के नाम भी खत्म हो सकती है।

सच कहूं तो याशी नाम अब रेहान के जिस्म जिस्म से जुड़ चुका है। अब याशी ही मेरी लाइफ है। याशी ही मेरा मकसद है। मेरे लिए याशी है तो जीवन है। याशी के बिना समुद्र भी सूखा लगता है। याशी की जब तक आवाज़ नहीं सुनने को मिलती है तब तक शरीर का रोम रोम असहज रहता है या यूं कहूं की याशी है तो सबकुछ है, याशी है तो मुमकिन है ।

 मैं अपने हाथ को लिखने से रोकना चाहता हूं लेकिन ऐसा लगता है कि ये हाथ भी आपसे प्यार करने लगे है। कलम भी कह रही है कि रुको मत...अभी तो मैं याशी के साथ चलना चाहती हूं। सर्किट हाउस के सामने वाली एयरपोर्ट रोड भी थम सी गई है, शाहीबाग की हवा भी अब शीतल होती जा रही है जैसे की यहां की रोम रोम में याशी बसी हो। जैसे जैसे मेरा मन कलम को आराम देने की सोच रहा है यहां की फिज़ा में अजीब सी मायूसी छाने लग रही है। मैं फिर से एक खत लिखूंगा, फिर से मेरी मोहब्बत झलकेगी, फिर से मेरी कलम नाचेगी।

                  



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