मेरा भविष्य
मेरा भविष्य
आज से आगे का मेरा भविष्य :-
पीछे मुड़कर देखता हूं तो लगता है, एक मुश्किल भरा रास्ता पार करके सुकून से भरे पथ पर चलने लगा हूं,
जब यूपीएससी में हर बार इंटरव्यू तक पहुंचता फिर वापिस वही पहले पायदान पर आ जाता लेकिन हर परिस्थितियों से जूझता हुआ , अकेले में बैठकर रोता हुआ चौथे प्रयास में इस सांप सीढ़ी के खेल में जीत गया तो लगने लगा कि अब अच्छे दिनों की शुरुआत हो गई।
अभी मैं इस सफलता को एंजॉय कर ही रहा था कि शादी की बातें शुरू हो गई। खैर शादी तो नहीं हुई लेकिन यहां पर दिल, प्यार - मोहब्बत , दोस्त, रिश्ते नाते , समाज सभी से ठुकरा दिया गया। ये वो जीवन का पड़ाव था जहां से कोई भी गुजरना नहीं चाहता है लेकिन में गुजरता गया और आंसू गिराता गया। यह वही वक्त था जब मैं पूरी तरह कमजोर पड़ गया और आत्महत्या जैसे शब्दों की सोचने लगा या यूं कहे की ये प्रयास असफल हो गया।
कहते है ना कि जीवन में अंधेरा होता है तो सवेरे को भी आना होता है, ऐसा ही पड़ाव आया जब एक अल्हड़ सी लड़की ने मेरा हाथ थामा। उसके साथ मेरा जीवन पटरी पर लौटने लगा। वो मेरी जीवनसंगिनी बनी और दृढ़ता से हमने जीवन के बहुत सारे निर्णय लिए। माता पिता, बहनों , पत्नी के साथ एक श्रेष्ठ सामंजस्य बनाने में मैं काफी हद तक सफल हुआ।
लेकिन अब मेरी जिंदगी की असली कहानी यहीं से शुरू होगी। फिर से जो सवेरा हुआ था वो अब धीरे धीरे सूर्यास्त की तरफ बढ़ने लगेगा। इसके पीछे कई कारण निहित है जैसे 6 साल होने को है शादी के लेकिन संतानोत्पति में अभी तक एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाए । ऐसा नहीं है कि बच्चे की वजह से हम दोनों में कभी कोई लड़ाई होगी बल्
कि पत्नी लोगों के तानों से खुद में सिमट कर रह जायेगी, खुद को डिप्रेस्ड कर लेगी, चिड़चिड़ापन आता जायेगा। यहां हर कदम पर मैं उनके साथ खड़ा रहूंगा, उसकी हर सांस तक उसका साथ निभाऊंगा। मुझे नहीं चाहिए कोई बच्चा , मैं उसे ही अपना बच्चा समझ के उसकी केयर करूंगा। लेकिन अभी तक जितना मैं जाना हूं उसको, उनका डिप्रेशन कम नहीं होगा। वो हर तनाव को आमंत्रित करेगी और दुख से बाहर निकलने की नहीं सोचेगी।
अंधेरा प्रारंभ होने का दूसरा कारण व्यक्तिगत कारण नहीं अपितु सामाजिक कारण है जिसके शिकार हम दोनों होंगे।
जब नौकरी लगी तब कर्जे में था , फिर उसको चुकाया। फिर घर बनाया, सिस्टर्स को पढ़ाया फिर शादी की। जो यह एक सर्किल चला उससे अभी तक नहीं उभर पाया। लेकिन लोगों को का नजरिया हमें समाज से दूर करता जायेगा। अब जब भी हम किसी से मिलते है तो सबका यही प्रश्न होता है कि तुम्हारे पास खर्चा क्या है, कोई बच्चे भी तो नहीं है जो खर्चा होगा। समाज आपके पिछले संघर्ष को कभी याद नहीं करेगा, वो आपके वर्तमान को अपने ही हिसाब से आंकने लग जायेगा । इन कारणों के पीछे भी वही लोग होंगे जो पहले भी आपकी बदनामी के पीछे लगे रहे।
अब यहां से आप लोगों से कटने लग जाओगे, सामाजिक स्तर पर कम मिलना जुलना पसंद करोगे। तो फिर आपको ताना मिलेगा कि लोगों से मिलना जुलना बंद कर दिया, बीवी के पास ही रहता है पूरे वक्त। लेकिन ऐसे लोगों को कौन ही समझाएगा कि आपके ही तानों से बीवी तनाव में रह रही है, और इस वक्त में बीवी के साथ पति का रहना कितना जरूरी है।
मुझे लग रहा है कि यही से अब मेरी जिंदगी का सफर ऐसा ही शुरू होने वाला है ।