टपरी की यादें (भाग 4)

टपरी की यादें (भाग 4)

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अचानक से रोहन की निगाहें अपने पास खड़े एक युवक पर पड़ी जिसके साथ एक लड़की भी थी। वो दोनों ऐसे लग रहे थे जैसे काफी देर से खड़े खड़े उन्हें देख ही रहे हों। उनके चेहरे पर जो मुस्कान बिखर रही थी उससे तो यही पता चल सकता है कि उन्हें भी अपनी कोई कहानी याद आ रही होगी। इस तरह किसी टपरी में बैठे वो भी किसी वक्त एक दूसरे में मशगूल रहे होंगे।

रोहन तो निरंतर उन दोनों अजनबी को देख ही रहा था कि अचानक से रेहाना उछल ही पड़ी और शरमाते हुए बोली, " अरे सर मैम आप कब आए? " रेहाना के ऑफ़िस के बॉस और उनकी वाइफ जो उनके ऑफ़िस में ही काम करती थी उनकी टेबल के पास ही खड़े थे।

रेहाना अपनी जगह से खड़ी हुई और अपने सर मैम से रोहन का परिचय कराया। फिर रोहन को कहा कि," रोहन, ये मेरे ऑफ़िस वाले सर मैम है, मैंने ही इनको मैसेज करके बुलाया ताकि ये भी आपसे मिल ले और आप भी इनसे मिल लो।" तभी रेहाना के सर ने रोहन को गले लगाया और कहा कि हम सब बाहर वाली हट में बैठते है। अब चारों लोग बाहर वाली हट में आ गए।

टेबल के एक तरफ सर और रोहन बैठे थे तो दूसरी तरफ मैम और रेहाना थी। " रोहन, मैं रेयांश और ये मेरी वाइफ रिद्धिमा है। हम दोनों ही राजस्थान प्रशासनिक सेवा 2006 बैच के अधिकारी है" सर ने अपना और मैम का परिचय रोहन से करवाया। इतना सुनते ही रोहन ने कोतूहल के साथ कहा, " फिर तो सर मैं इसको लव मैरिज मान सकता हूं"। " रोहन, हमारी लव मैरिज ही थी" सर ने मैम की तरफ मुस्कराते हुए कहा।

रोहन," फिर तो सर काफी मजेदार कहानी हुई होगी, प्लीज़ सर बताइए ना"। "ओके ओके सुनो तो फिर, हमारी कहानी ट्रैनिंग के दौरान शुरू हुई थी जो अप्रैल का महीना था। मैं ट्रैनिंग क्लास में बैक बेंचर रहता था, जब भी किसी का कॉल आता तो मेरी कर्मा वाली रिंगटोन बज उठती थी। रिद्धिमा सबसे आगे बैठती थी तो जब भी यह रिंगटोन बजती तो रिद्धिमा पीछे मुड़कर ज़रूर देखती। एक दिन मैं क्लास से बाहर अकेला ही खड़ा तो रिद्धिमा ने बताया कि उन्हें यह रिंगटोन बेहद पसंद है, प्लीज़ आप इसे मेरे फोन में डाल दो।

इस तरह हम दोनों के बीच रिंगटोन के जरिए जो पहली बार बात हुई वो धीरे धीरे गहरी दोस्ती में बदल गई। ३ जुलाई की बात है उस दिन मैं छत पर टहल रहा था कि अचानक से सीढ़ियों से कुछ लोगों कि आवाज़ आ रही थी। तभी देखा की रिद्धिमा कुछ बैचमेट्स के साथ छत पर मेरे सामने खड़ी हो गई। हा हा हा, पता है रोहन उस दिन सफेद ड्रेस में यह एक परी जैसी लग रही थी। तभी अचानक से 2 क्लासमेट्स अपने हाथ में गिटार लिए नजर आए, और दूसरे दो तो हाथों में कुछ सामान लिए इस तरह घूर रहे थे जैसे बस राजा का आदेश मिलने कि देर हो और वो मुझ पर फतह करने को आतुर थे। तभी रिद्धिमा ज़ोर ज़ोर से चिल्लाकर गाने लगी हैप्पी बर्थडे टू यू , हैप्पी बर्थडे टू माई बेस्ट फ्रेंड। और गिटार हाथ में लिए दोनों क्लासमेट्स तो हैप्पी बर्थडे कि धुन में झूमते नजर आए वहीं बाकी वाले दोनों तो जैसे इसी इंतजार में थे उन्होंने ने केक को मेरे चेहरे पर रगड़कर जो हुलिया बनाया वो देखने लायक था। मेरे हुलिए को देखकर रिद्धिमा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी। मैं बस एकटक हँसती हुई रिद्धिमा को देखता ही रह गया। उस दिन पहली बार मुझे पता चला कि ये ही तो वो है जो मुझे हमेशा खुश देखना चाहती है। यही तो वह है जो मेरे अधूरेपन को पूरा कर सकती है। उस दिन मुझे अहसास हुआ कि रिद्धिमा के बिना मैं अधूरा हूं।" सर बिना रुके सब बताते जा रहे थे। ऐसे लग रहा था कि आज भी सर 2006 की यादों में खो गए हो।

तभी रिद्धिमा ने " अरे, 2006 से 2018 में आ जाओ और सुनो रेहाना ये भी कम नहीं थे। एक बार तो इन्होंने कमाल ही कर दिया। इन्होंने एक दिन मुझसे कहा कि हम दोनों मूवी देखने चलते है तो मैंने बस यही कहा कि वो अकेले जाना पसंद नहीं करती है। बस फिर क्या इन महाशय ने मूवी के एक शो की सारी सीटें बुक कर ली। मुझे तो मूवी के बाद पता चला कि सब सिर्फ मेरे लिए ही किया है। इन्होंने मुझे उस दिन सबके सामने थियेटर के बाहर प्रपोज किया। बस यह प्रपोज जुलाई में शादी में बदल गया"।

तभी हमने टपरी की फैमस थडी वाली चाय का जो ऑर्डर दिया वो वेटर लेके आ गया। तभी रोहन ने कहा "सर, लोग कहते है कि लव मैरिज अक्सर सफल नहीं होती है क्या यह सच है?" सर ने जो जवाब दिया वो वाकई में काफी व्यावहारिक था। " देखो रोहन और रेहाना, शादी लव मैरिज हो या अरेंज मैरिज उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हर व्यक्ति कि अपनी अलग अलग खूबी है और दोनों की खूबियों के साथ अपने आप को ढालते हुए लाइफ को एंज्वॉय करना ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। हम दोनों जानते है कि किसमे क्या खूबी है बस हम उसी को जीने की कोशिश करते है। यदि किसी में भी ईगो कि भावना आई तो समझ लेना कि लाइफ अब मुश्किल में है, तो सबसे पहले हैप्पी लाइफ के लिए ऑफ़िस का दिमाग वहीं पर छोड़ के आ जाना।" इस तरह एक दूसरे गप्प शप्प लड़ाते रहे। तभी सर ने कहा, " रोहन अभी थोड़ा अर्जेंट है, हमें जाना पड़ेगा, और तुम दोनों से मिलकर अच्छा लगा। जल्दी ही कोई ग्रांड पार्टी करते है। रेहाना अबकी बार रोहन को लेकर घर ज़रूर आना और रोहन को ज्यादा परेशान मत करना। तुम दोनों अभी आराम से बैठकर बातें करो।" इतना कहकर दोनों काउंटर की तरफ बढ़ गए और काफी कोशिश के बाद भी सर और मैम नहीं माने और हमारी पहली मीटिंग का पेमेंट दोनों ने ही किया इसके बाद दोनों वहां से मुस्कराते हुए चले गए। उन दोनों को देखकर लगता है कि कुछ कपल ऐसे भी होते है जो आज भी एक दूसरे में बातों ही बातों में खो जाते है शायद इसी को प्यार कहते है। रोहन दोनों को तब तक देखता रहा जब तक वो उनकी आँखो से ओझल ना हो गए।


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