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Shelly Gupta

Abstract

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Shelly Gupta

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ए ज़िन्दगी सुन

ए ज़िन्दगी सुन

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डियर ज़िन्दगी

मेरा पत्र देखकर तुम हैरान तो नहीं होंगी इतना तो मुझे पता है क्योंकि ऐसे पत्रों की रोजाना लाइन लगी होती होगी तुम्हारे पास।

वैसे मेरा पत्र कोई शिकवे शिकायतों वाला नहीं है। कुछ आम सी बातें हैं पर हैं सारी दिल की बातें जो तुम्हे कब से कहना चाहती थी सो आज पत्र लिख कर कह रही हूं।

वैसे मै तुम से ज्यादातर खुश रहने की ही कोशिश करती हूं। हर अच्छी चीज़ होने या खुशी मिलने पर भगवान को धन्यवाद कर देती हूं और कुछ बुरा होने पर किस्मत के नाम डाल देती हूं। अक्सर ये कहकर मन बहला लेती हूं कि शायद मैं पिछले जन्म में कुछ अच्छा बो कर नहीं आई होंगी जो अच्छा नहीं हो रहा मेरे साथ और ये सोचकर मेरा मन शांत भी हो जाता है। 

मुझे बस तुमसे ये पूछना है कि तुम आराम से भी तो चल सकती हो, हर वक़्त रोलर कोस्टर पर क्यों सवार रहती हो। अच्छे के बाद एकदम से बुरा आ जाता है, बुरे के बाद एकदम से अच्छा आ जाता है। थोड़ी स्पीड धीमी कर लो ताकि सब आराम से रह सकें और हमेशा एग्जाम के टफ़ पेपर की तरह मत आया करो। कभी सब को कूदते फांदते पूरे नंबर लाने वाली खुशी भी दे दिया करो। देखना फिर सब तुम्हारे गुण गाएंगे।

बस इतनी सी ही गुज़ारिश थी। बाकी अगले खत में।

तुम्हारी,

शैली।


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