दस्तक
दस्तक


जिंदगी में कभी कभी कुछ बातें बड़ी ही अजीब होती है।
जिंदगी के अपने नियम और क़ायदे क़ानून होते है।यहाँ हमेशा दो और दो चार नहीं होते है।कभी साढ़े तीन तो कभी साढ़े चार भी होते है।यहाँ हमेशा चीज़े गोल नहीं होती कभी कभी सिफर भी होती है।यहाँ कभी चमकता चाँद मिलता है तो कभी सूरज की तपती हुयीं धुप का भी सामना करना होता है।
इस जिंदगी में हमेशा ही बोल कर जवाब नहीं दिया जाता है कभी कभी ख़ामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है।
कभी आँखे झुकाने से इकरार का पैग़ाम दिया जाता है तो कभी नजरें चुराने से नजरअंदाज किया जाता है।
इस अजीब सी जिंदगी की अनमन भी तो देखिए।कई बार दस्तक देने वाले की हथेलियाँ जख्म से भर जाती है दस्तक देते देते फिर भी दिल के वे दरवाजे नहीं खुलते।कभी कभी वही दरवाज़े हर वक़्त खुले रहते है किसी के इन्तजार में.....