दक्षिणा
दक्षिणा
बहुत साल पहिले की बात आय. एक गांव मा सुकलाल नांव को एक किसान रवत होतो. ओला विरासत मा खुब धन-संपती भेटी होती. वोको साठी दिवसभर खाली बसस्यान हुक्का पिवन अना महाजनकी करन रोज की बात भय गयी होती. बिना मेहनतलक धन-संपती भेटी होती येन कारणलक कोळीपना ओको रग रग मा भर गयव होतो. मेहनत करनको ओको जानपर आवत होतो. काम करनेवाला ओका नौकर-चाकर सुकलाल को कोळी स्वभावलक ओको फायदा लेत अना ओको मालपर हात साफ करनोमा लग्या रव्हती. धिरु-धिरु ओन नशा-पानी भी सुरु करीस. फुकट को पिवनला भेटत दारुडया संगी की महफिल भी ओको घर मा रंगन लगी. येन कारणलक किसान की हालत खराब भय गयी होती.
एक दिवस ओको एक बचपना को रामलाल नांव को संगी ओला भेटन आयव. रामलाल गायत्री परिवार संघटन लक जुडेव होतो. सुकलाल किसान की या बिघडी हालत देखशानी ओला बहुत दुख भयव. ओन सुकलाल किसानला समझावनकी बहुत कोशिश करिस पर ओकोपर काहीच असर नही पडेव. नागपुर मा गायत्री परिवार को अश्वमेध यज्ञ होतो.
अश्वमेध यज्ञ साठी लाखो भावीकजन जम्या होता. रामलाल न सुकलाल किसान ला फिरन को बहाना लक नागपुर अश्वमेध यज्ञ मा आनिस. एक यज्ञकुंड पर सुकलाल किसान ला बसन भेटेव. गायत्री को पंडीतजीन यज्ञाहुती को बाद मा दक्षिणामा एक खराब गुण दान करन सांगिस. अना एक चांगलो गुण ग्रहन करन सांगिन. पहले त सुकलाल बिचारमा पडेव. आखिर मा ओन खराब गुण मा आपली दारु अना हुक्का पिवन को नशा यज्ञकुंड मा दक्षिणाको रुप दान देईस तसोच चांगलो गुण को रुप मा कोळीपना त्यागशान मेहनत करन को बिडा उठाईस.
सुकलाल किसान गावं आयव अना नशा-पानी पासुन दुर रहेव. नशेडी संगी धिरु-धिरु दुर भया. ओन कोळीपना त्यागीस अना किसानी मा मेहनत करन लगेव. महाजनकी बंद करशान रोज खेत मा जान लगेव. काम करनेवाला ओका नौकर-चाकर भी ईमानदारीलक काम करन लग्या. हर साल पेक्षा येन साल फसल चांगली भयी. दुय-तिन साल मा सुकलाल किसान की हालत सुधरन लगी. आता त पहलेदुन अमिरी आयी. सुकलाल किसान आता सुख की जिंदगी जिवन लगेव.
बोध :- नशा, कोळीपना त्यागशानी मेहनती बनो.