संस्कार
संस्कार
मोठो दौड़ धूप को बाद, वु अज ऑफिस पोहचेव, ओको पयलो इंटरव्यू होतो,
घर लक निकलन को बेरा वु बिचार करन लगेव, काश ! इंटरव्यू मा अज कामयाब भयेव, त् आपलो पुश्तैनी घर ला अलविदा कहस्यार यहां शहर मा सेटल होय जाऊन..
माय अना अजी की रोज़ की चिक चिक, मग़जमारी लक छुटकारा मिल जाये।
सकारी उठन पासून त् राती सोवत वरी होने वाली चिक चिक लक परेशान भय गयेव होतो।
सोयस्यार उठो, त् पयले बिस्तर ठीक करो, मंग बाथरूम जाओ, बाथरूम लक निकलो त् फरमान निकले से "नल बंद कर देयेस?"
टावेल बरोबर तार पर वारन टाकेस का इत उत फेक देयेस?
नाश्ता करस्यार घर लक निकलो त् डांट पड़से "पंखा बंद करेस का सुरुच ठेयेस?"
का का आयकू इनकी, नौकरी मिली त् घर सोड़ देऊन.
ऑफिस मा बहुत सारा उम्मीदवार बस्या होता, इंटरव्यू की बाट देखत होता. दस बज गया, ओन देखीस पैसेज की लाईट आबवरी पेटत होती, माय याद आय गई, त् लाईट की बटन बंद कर देईस।
ऑफिस को दरवाज़ा पर कोनी नोहता, बाजुमा ठेयेव वाटर कूलर लक पानी टपकत होतो, अजी की डांट याद आय गयी, वाटर कुलर की टोटी बन्द कर देईस, पानी बंद भयेव।
बोर्ड पर लिखेव होतो, इंटरव्यू दूसरो मंज़िल पर होये।
पायरी की लाइट बी जल रही होती, बंद करस्यार सामने बढेव, त् एक कुर्सी रस्ता मा होती, ओला हटायकर ओरत्या गयेव.
वहां देखसे पयले का उम्मीदवार अंदर जात अना लवकरच बाहर आवत, पता करेव त् मालूम भयेव बॉस फाइल धरस्यार काही खबर नही ले, वापस कर देसे।
मोरो नंबर आयेव पर मीन् फाइल बाॅस कन सरकायेव। ओन कागज़ात पर नज़र फिराईस अना कहीस, "कब ज्वाइन कर रह्या सेव?"
उनको प्रश्न लक से मोला असो लगेव जसो मोरोसीन मज्याक होय रही से, वु मोरो चेहरा देखकर कव्हन लगेव, यव मज्याक़ नोहोय, हक़ीक़त आय।
अज को इंटरव्यू मा कोनी ला खबर नही लेयेव, सिर्फ CCTV मा सबको बर्ताव देखेव, सब आया पन कोनी न् नल या लाइट बंद नहीं करीन ।
धन्य सेत तुमरा माय बाप, जिनन् तुमरी येतरी चांगली परवरिश करीन अना चांगला संस्कार देईन।
जेन् इंसान जवर Self discipline नही रव वु चाहे केतरोच हुशार अना चालाक रव्ह, मैनेजमेंट अना ज़िन्दगी को दौड़ धूप मा कामयाब नहीं होय सक।
घर पोहचेव पर अजी अना माय को गरो लगेव अना उनला माफी मांगकर रोवन बसेव।
मोरो ज़िन्दगी मा, उनको लहान लहान बात पर रोकनो अना टोकनो लक, मोला जेव सबक़ मिलीसे, ओको मुक़ाबला मा, मोरी डिग्री की काही हैसियत नाहाय अना मालुम भयेव ज़िन्दगी को मुक़ाबला मा सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं, संस्कार को बी बहुत महत्त्व रवसे.
*बोध :- संसार मा जगन साठी संस्कार जरूरी से। संस्कार साठी माय बाप को सम्मान जरूरी से।*