Kajal Manek

Classics

4  

Kajal Manek

Classics

दीदी

दीदी

3 mins
404


आज फिर तू देर से आई आशा चल जल्दी से बर्तन धो दे मैंने अभी चाय तक नही पी। कहकर कविता जी रसोई में गई। कविता जी अपने पति के देहांत के बाद अकेले ही रहती थी, एक बेटा था जो विदेश में ही सेटल हो गया था, उसने कितना कहा माँ ये घर बेचकर चलो मेरे साथ, पर वे नहीं मानी बोलीं की मेरी आखरी सांस इसी घर में निकलेगी जो तेरे पिता ने बनाया है। 

अक्सर बुजुर्गों की भावनायें पुरानी चीजों या पुराने घर से होती ही है जो नई पीढ़ी शायद समझ नहीं सकती, जब तक वो खुद बुढ़ापे को महसूस न करे।

आशा, कविता जी के यहां तब से काम कर रही थी जब उनका बेटा हुआ था। लगभग सभी घर के काम आशा ने उम्र के कारण छोड़ दिये थे सिर्फ कविता जी के यहां कर रही थी, कविता जी उससे कहती आशा तू तो मेरे मरने के बाद ही यहां से फ्री होगी, आशा भी हँसकर कहती दीदी मैं तो आपके साथ ही जाऊंगी।

कविता जी की यही ज़िन्दगी चली आ रही थी, रोज आशा से बातें करना फिर थोड़ी देर पार्क टहलने जाना मैगज़ीन पढ़ना और कभी कभी मन किया तो कुछ डायरी में लिखना।

एक दिन आशा अपनी नातिन को साथ लेकर आई थी,

उसने बताया दीदी मेरा बेटा सारे पैसे नशे और जुएं में उड़ा देता है और अब अपनी बच्ची की पढ़ाई छुड़वाना चाहता है क्योंकि स्कूल की फीस, किताब का खर्चा जो नहीं करना उसको। इसको भी काम मे लगाना चाहता है दीदी मै चाहती हूं कि मेरी नातिन पढ़े ताकि इसे मेरी तरह काम न करना पड़े औरों के घर में, कविता जी ने आशा की सारी बातें सुनी उन्होंने कहा तू चिंता मत कर इसकी फीस मै दूंगी और तेरा बेटा कुछ कहे तो मेरा नाम देना उसे मै भी देखती हूं कैसे पढ़ाई छुड़वाता है वो ।

कविता जी ने आशा की नातिन के सिर पर हाथ फेर कर कहा बिटिया कल से मैं तुझे पढ़ाऊंगी और किसी से डरना नहीं जीवन में तुझे तो अभी बहुत आगे जाना है। आशा की आंखों में आंसू आ गए, सगा बेटा हैवान बना हुआ है और एक पराया रिश्ता जो इतना अपना हो गया है कि उनके बिना अब रहा नहीं जाता दीदी कहकर उसने कविता जी को गले लगा लिया, कविता जी ने भी नम आँखों से अपने इतने वर्ष के अकेलेपन की साथी अपनी आशा को गले लगा लिया। आशा को अहसास हुआ जिसे वो इतने वर्ष से दीदी कहकर बुलाती है वो सच में उसकी दीदी हैं, क्योंकि उसकी दीदी को रिश्तों की कद्र है, अकेलापन का अहसास और दुःख जो समझती हैं वे हैं उसकी दीदी जिन्होंने उसके आंसुओं को भी साझा किया है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Classics