Himanshu Sharma

Abstract

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Himanshu Sharma

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देश की आबो-हवा

देश की आबो-हवा

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सबकी ज़िन्दगी अब यूँही चलने लगी है,

मेरे देश की आबो-हवा बदलने लगी है।


सियासत अब हर चीज़ में घुलने लगी है,

मेरे देश की आबो-हवा बदलने लगी है।


ग़रीबी जेब से झाँकने को मचलने लगी है,

मेरे देश की आबो-हवा बदलने लगी है।


वर्दी में भी रवादारी यूँही ढ़लने लगी है,

मेरे देश की आबो-हवा बदलने लगी है।


देख मुल्क़, क़यामत आँख मलने लगी है,

मेरे देश की आबो-हवा बदलने लगी है।


हर चीज़ है बिकाऊ, बात ये सलने लगी है,

मेरे देश की आबो-हवा बदलने लगी है।


नफ़रत हर बात पे, दिलों में पलने लगी है,

मेरे देश की आबो-हवा बदलने लगी है।


जमी थी खूँरेंज़ी, बर्फ़ वहाँ पिघलने लगी है, 

मेरे देश की आबो-हवा बदलने लगी है।


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