देखा एक ख्वाब
देखा एक ख्वाब
जब मैं छोटी बच्ची थी बड़ी शरारत करती थी। बहुत से ख्वाब देखती थी। कभी देखती मैं अकेली इस दुनिया में हूं।
मेरे साथ कोई नहीं है, और डर से जग जाती । कभी लगता दुनिया कितनी खूबसूरत है। कितने पेड़ पौधे लहरा रहे हैं कितने पक्षी चहचहा रहे हैं, डर एकदम से गायब हो जाता। उठ कर सब को देखने का मन कर जाता।
जब बाल मंदिर में थे तो प्राइमरी स्कूल बड़ा लगता था, ख्वाब उसके आते थे। ख्वाब में आता है उसकी ड्रेस पहनकर हम जा रहे हैं
बहुत मौज मना रहे हैं। जब प्राइमरी स्कूल में गए तो सेकेंडरी स्कूल के सपने आने लगे। वह बच्चे आंखों में इतने अच्छे लगते कि
ख्वाब में भी उनकी ड्रेस नजर आती और लगता हम उन्हीं की स्कूल में जा रहे हैं।
सेकेंडरी स्कूल में भी पहुंच गए तो स्कूल फाइनल के सपने आने लगे। वह भी कर लिया। तो कॉलेज के सपने आने लगे। सतरंगी सपने आने लगे, कॉलेज के ख्वाब में अपने आप को कॉलेज की रंगीनियों में डूबते देखा। साथ में अपने ख्वाबों को पूरा करते देखा।
वे ख्वाब पूरे हुए तो सपनों का राजकुमार नजर आया, उसमें हमको डॉक्टर नजर आया। पापा ने हमारा ख्वाब पूरा कर दिखाया।
मगर जिंदगी में तो ख्वाब चलते ही रहते हैं एक ख्वाब होता है पूरा तो दूसरे का आगमन हो जाता है। इन्हीं ख्वाबों के चलते अपने मेडिकल लाइन में जुड़ने का, बच्चों को प्रसिद्ध इंस्टिट्यूट से एजुकेशन दिलवाने का अच्छे इंजीनियर डॉक्टर आई आई एम से पढ़ाने का इसी तरह अपने ख्वाबों को पूरा करते-करते आज हम यहां तक पहुंच गए ।
एक ख्वाब देखा था लेखक बनने का। आज हम लेखक भी बन गए। अब एक ख्वाब बाकी है किताब निकालने का हो सकता है वह भी जल्दी ही पूरा हो जाए । कहीं ना कहीं उस सब को भी पर लग जाएं और वह भी पूरा हो जाए। जिंदगी है तो ख्वाब भी हैं और उनको पूरा करने का जज्बा भी है। देखते हैं जहां तक जिंदगी रहेगी तब तक सब चलता ही रहेगा।
अच्छे ख्वाब, बुरे ख्वाब, डरावने ख्वाब, खुशी वाले ख्वाब, ख्वाब, ख्वाब, ख्वाब सब चलते ही रहेंगे। इनका कहीं अंत नहीं।
इसीलिए कहती है विमला ख्वाब नहीं हकीकत में जियो प्रारब्ध और पुरुषार्थ के साथ जियो कई करूं कई करूं से कुछ करूं कुछ करूं और खुशी से अपनी जिंदगी को नियमितता से जियो। और अपने ख्वाब पूरा करने का रास्ता दो।