डर
डर
आज के समय में इलाज़ का एक ही मूलमंत्र जितना डराओगे,
उतना कमाओगे। इसलिए हर व्यक्ति डर से परेशान है, हम भी है क्या करें...
इलाज के लिए डाक्टर के पास जाओ तो नाड़ी देखता नहीं, तरह-तरह के टेस्ट के लिए भेज देता है। पेथालाजी और हर तरह के टेस्ट की इतनी दुकान खुल गई है कि पूरा शरीर टेस्टिंग स्टेशन बन गया है।
थोड़ा सा बुखार आया तो डाक्टर को दिखाया। डाक्टर ने तरह-तरह से डराया। आपको ये भी हो सकता है, वो भी हो सकता है और यदि वो कहीं हो गया तो बहुत कम लोग बच पाते है। ऐसे मृत्यु का भय दिखा कर वे बहुत कुछ लूटने के जुगाड़ में रहते हैं।
एक बार हमारे घुटने में दर्द हुआ तो हम धोखे से एक विशेषज्ञ के पास चले गए। पता चला कि वे हार्ट वाले डाक्टर है, उन्होंने हार्ट का इलाज चालू कर दिया और खूब तरीके से डरा भी दिया कि, कभी-कभी आजकल हार्ट घुटने तरफ भी अफरा-तफरी करने आ जाता है और यहां आकर दिक्कत देने लगता है।
पचास तरह के हार्ट संबंधी जांचे हुई कुछ नहीं निकला तो हड्डी के डाक्टर को रिफर कर दिया। बहुत दिनों तक हड्डी वाले ने पैसे ठगे कुछ समझ नहीं आया तो किडनी वाले के पास भेज दिया।
किडनी महंगी बिकती है इस बात का डर 24 घंटे रहता। डर लगता रहता कि कहीं किडनी वाला डाॅ. चुपके से किडनी निकाल कर न बेच दे। डर से परेशान हम डरते ही रहे। भगवान बचाए ऐसे डाक्टरों से जो सेवा भाव भूलकर पैसे पैदा करने की दुकान बन गए है और उन्होंने डर को ठगने का हथियार बना लिया है।
