2019 अलविदा
2019 अलविदा
दोस्तो...2019 को अलविदा कहने का समय है।2019 को शब्दों में कहें तो दो हजार उन्नीस कहलाता है या दो जीरो एक नौ साथ लिए है। 2019 ये साल भी मेरे लिए अच्छा रहा। जनवरी माह में विश्व पुस्तक मेले में 15 लोगों की पुस्तक का विमोचन का अवसर मिला। दिल्ली के हिन्दी भवन में व्यंग्य चौपाल पर व्यंग्य पर अपने विचार रखे। पुस्तक मेले के लेखक मंच पर एम.एम चन्द्रा जी के उपन्यास विमोचन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन होकर उपन्यास पर बातचीत की। साल भर व्यंग्य कविता प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही। प्रतिदिन फेसबुक और साहित्य समूहों पर व्यंग्य और व्यंग्य विमर्श पर भाग लिया। साहित्यनामा ने सम्मानित किया। स्टोरी मिरर से भी सम्मान पत्र मिला शील्ड मिलेगी। साल भर प्रति माह व्यंग्यम गोष्ठी का आयोजन कर नये नये व्यंग्य पढे। रवीना प्रकाशन दिल्ली से एक व्यंग्य संकलन प्रकाशित हुआ। एक व्यंग्य संकलन प्रकाशनाधीन।
फेसबुक पर लिखे व्यंग्य लेखों पर आतीं सकारात्मक प्रतिक्रियाओं ने मुझे नया और बेहतर लिखने के लिए बहुत ऊर्जा दी। इस साल हिमालय के चारों धाम यात्रा का खूब आनंद लिया। भारत चीन सीमा में स्थित भारत का आखिरी गांव माणा देखने का अवसर मिला। 2019 का किया धरा आपके हाथों में सौपकर निश्चिंत हूँ। उम्मीद है आपका स्नेह और प्रेरणा इस वर्ष भी खूब प्राप्त होगी । और फिर "सीखने" "सिखाने" के लिए वर्ष भर हम एक दूसरे के साथ रहेंगे ही।