Jai Prakash Pandey

Others

5.0  

Jai Prakash Pandey

Others

माणा गांव की यात्रा

माणा गांव की यात्रा

2 mins
695


सरस्वती नदी का उद्गम स्थल भीमपुल माणा गांव भारत का अंतिम गांव कहलाता है। बहुत दिनों से भारत चीन सीमा में बसे इस गाँव को देखने की इच्छा थी, जो जून 2019 में पूरी हुई।


यमुनेत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन के बाद माणा गांव जाना हुआ। 20 जून 2019 को उत्तराखंड की राज्यपाल माणा गांव आयी थी ऐसा वहां के लोगों ने बताया। हम लोग उनके प्रवास के तीन चार दिन बाद वहां पहुंचे। हिमालय की पहाड़ियों के बीच बसे इस गांव के चारों तरफ प्राकृतिक सौंदर्य देखकर अद्भुत आनंद मिलता है। पर गांव के हालात और गांव के लोगों के हालात देखकर दुख होता है। अनुसूचित जाति के बोंटिया परिवार के लोग गरीबी में गुजर बसर करते है, पर सब स्वस्थ दिखे और होंठों पर मुस्कान मिली।


बद्रीनाथ से 4-5 किमी दूर बसे इस गांव से सरस्वती नदी निकलती है और पूरे भारत में केवल माणा गांव में ही यह नदी प्रगट रूप में है। इसी नदी को पार करने के लिए भीम ने एक भारी चट्टान को नदी के ऊपर रखा था जिसे भीमपुल कहते है। किवदंती है कि भीम इस चट्टान से स्वर्ग गए और द्रौपदी यहीं डूब गयी थी।


कलकल बहती अलकनंदा नदी के इस पार माणा गांव है और उस पार आईटीबीपीटी एवं मिलिट्री का कैम्प है, जिसकी हरे रंग की छतें माणा गांव से दिखती है।


माणा गांव के आगे वेदव्यास गुफा, गणेश गुफा है। माना जाता है कि यहीं वेदों और उपनिषदों का लेखन कार्य हुआ था। माणा गांव के आगे सात किमी वासुधारा जलप्रपात है जिसकी एक बूंद भी जिसके ऊपर पड़ती है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते है। कहते है यहां अष्ट वसुओं ने तपस्या की थी। थोड़ा आगे सतोपंथ और स्वर्ग की सीढ़ी पड़ती है जहां से राजा युधिष्ठिर सदेह स्वर्ग गये थे।


हालांकि इस समय भारत का ये आखिरी गांव बर्फ से पूरा ढक गया होगा और बोंटिया परिवार के 300 परिवार अपने घरों में ताले लगाकर चले गए होंगे। पर उनकी याद आज भी आ रही है जिन्होंने अच्छे दिन नहीं देखे पर गरीबी में भी वे मुस्कुराते दिखे।


Rate this content
Log in