डर का सफर 2
डर का सफर 2
हम घर से बाइक पर चले। मैंने एक स्वेटर एक कोट पहना सिर पर टोपी पहन ली और शाल भी ले लिया।
पापा ने भी कोट टोपी पहन ली और बड़ा कंबल ओढ़ लिया।
हम गांव से बाहर निकले ही थे कि बहुत ज्यादा धुंध थी कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
हमें बहुत डर भी लग रहा था क्योंकि धुंध की वजह से बहुत हादसे हो रहे थे। हमारे मन में भी डर था।
रात को ट्रक बहुत आते हैं और धुंध में तो कुछ दिख ही नहीं रहा था।
पापा ने धीरे धीरे बाइक सड़क पर चढ़ाई।
पापा ने बोला पीछे देखती रहना कोई भी रोशनी दिखे बताना।