डर का सफर 4
डर का सफर 4
रास्ते में एक स्कूल आता है वहां बहुत रोशनी थी तो वहां सब कुछ साफ़ दिख रहा था ।
हमने आराम से आधा रास्ता पार कर लिया था।
रास्ते में पशुओं का भी डर था क्योंकि उस समय लोगों के खेतों में पशु जाते है और इस वजह से बहुत दुर्घटना होती है।
हमारी बाइक कभी सड़क से नीचे उतरती कभी सड़क पर।
शहर आने से पहले एक नहर आती है। मुझे डर लगा कि अगर इस में गिर गये तो।
मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और बस भगवान से प्रार्थना करने लगी कि सही से पहुंचा दे।
हमने नहर पार कर ली। उसके बाद डर कम हुआ क्योंकि शहर में बहुत रोशनी थी।
वहां स्ट्रीट लाइट लगी हुई थी। सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था।
मन में खुशी थी कि हम सही सलामत पहुंच गए।
हमारे दस मिनट का रास्ता हमने एक घंटे में पार किया।
ये सफर में कभी नहीं भूल सकती।
जो रास्ता मुझे बहुत आसान लगता था वो आज बहुत ही खतरनाक लगा।
ये मेरी जिंदगी का सबसे डरावना सफर था।