चपल 2
चपल 2
मैंउसे देख हैरान थी। इतनी धूप में जहां कोई भी घर से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करते वहां ये नंगे पाँव खाने के लिए घूम रही है।
मैंने उससे पूछा तुम्हारा नाम क्या है तो उसने बताया कि चंप।
तो मेंने पूछा तुम नंगे पाँव क्यो घूम रहीीं हो तुम्हारे पााँव नहीं जल रहे क्या।
तो कहतीं हमारी तो आदत है खाने को कुछ भी नही है तो पहनने के लिए कयााक्या होगा।
मुझे बहुत दुःख हुआ। फिर मेने उससे कहा कि चलो आज में तुुुुमको कुुछ दिलाती हु।
ऐसा कहकर में उसे एक दुकान पर ले गयी और वहां से उसे उसके पसंद कि चपल दिलवााई।
उस चपल कि कीमत ज्यादा नहीं थी फिर भी उस बच्ची के लिए बहुत ही कीमती थी। अब उसके पाँव नहीं जलेेंगे।
फिर मेने उसे अपने टिफ़िन में से खाना खिलाया।
में उसके लिए रोजाना खाना लाने लगी और वह बहुत खुश होोती। मुझे भी बहुत खुशी होती।
अगर हमारी छोटी सी कोशिश और मदद से किसी का पेट भरे तो हमे ये कोशिश करनी चाहिए। इससे हमे बहुत दुआएं मिलती है।