नारी का संघर्ष 3
नारी का संघर्ष 3
संतोष के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ । शादी होते ही ससुराल वाली बदल गई की हम नहीं पढ़ाएंगे। उसका पति विनय गुस्सा व घमंड में रहता है वह संतोष को केवल अपने नीचे दबाकर गुलाम बना कर रखना चाहता था। परंतु संतोष आगे बढ़ना चाहती थी इसलिए उसने इसके खिलाफ आवाज उठाई। संतोष का साथ माता-पिता ने भी दिया जिस के बाद ससुराल वाले पढ़ाने के लिए तैयार हुए लेकिन संतोष को घर में ही रहकर पढ़ने की इजाजत दी गई। संतोष इतने में भी खुश थी। वह अपने घर का सारा काम काज करने के बाद भी अपनी पढ़ाई पूरी करतीं। जो संतोष अपने माता-पिता के घर राजकुमारी समझी जाती थी आज उसे बहू भी समझा नहीं चाहता। उसकी पढ़ाई लिखाई से सब नाराज थे। इसलिए उससे ज्यादा से ज्यादा काम करवातें थे। शादी के एक साल बाद संतोष ने एक बेटी को जन्म दिया संतोष बहुत खुश थी परंतु उसका पति व सास-ससुर बिल्कुल भी खुश नहीं थे वह एक बार भी देखने के लिए हॉस्पिटल नहीं गए वह सोचते है कि कचरा हुआ है हमें तो हमारा वंश चाहिए इस कचरे के लिए हमारे पास समय नहीं है।