नारी का संघर्ष 4
नारी का संघर्ष 4
जैसे जैसे दिन बीत गए संतोष ससुराल वालों के गालियां ताने सुनती रही। संतोष के ससुर नशेड़ी व जुआ खेलता था वह धीरे-धीरे जमीन बेचने लगा। घर की हालात बहुत बिगड़ने लगी संतोष को इस बात का बहुत दुख था। संतोष ने ससुर का विरोध किया तो संतोष के पति ने संतोष को मारा पीटा। संतोष को कभी कुछ बोला ही नहीं जब उसे पीटा गया तो उसने अपनी मां को सब कुछ बताया मां ने उसके संतोष के ससुराल वालों से पूछा क्यों हाथ उठाया बेटी पर। तो संतोष और उसकी बेटी को घर से धक्के मार कर निकाल दिया गया और कहा कि हमें नहीं जरूरत है इसकी। छोटी सी उम्र में संतोष के लिए यह सब दुख देखना पड़ा, उसके माता-पिता ने सोचा अच्छा था पर यह तो बहुत बुरा निकला। संतोष ने संभलते हुए सोचा अगर मैं बिखर गई तो अपनी बेटी की तरफ देखते हुए और ने इसे कौन संभालेगा। संतोष अपने आंसू पोंछती हुई उठी और बोली मैं अपने लिए नहीं अपने बच्ची की खुशियों के लिए मेहनत करूंगी। संतोष ने दिन रात मेहनत की और अपनी सफलता तक पहुंच गई। सब लोग बहुत खुश हुए अब उसका पति भी बहुत शर्मिंदा हुआ और माफी मांगने आया। और बोला कि उसके साथ चले। संतोष के सास ससुर ने भी माफी मांगी और साथ साथ खुशी से रहने लगे ।
संतोष आप बहुत खुश थी जो खुशियां उससे छिन चुकी थी उसे दोगुनी वापिस मिली।