चपल 1
चपल 1
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गर्मी का मौसम था और इतनी तेज धूप थी कि घर से बाहर निकलने का मन ही नहीं कर रहा था।
परन्तु फिर भी जाना पड़ता था क्योकि मेेेरी टयूशन क्लास होती थी।
धूूप इतनी तेज होती थी इंसान जल जाये।
में रोजाना कि तरह टयूशन के लिए तैयार होकर घर से निकली।
धूप से बचने के लिये मैंने अपने मुंह पर दुपट्टा बााँध लिया।मैं मैं रास्ते में जा रही थी कि अचानक एक छोटी बच्ची जिसने फटे कपड़े बाल बिखरे हुए सााँवला रग होोंठ फटे हुए मेेेल से भरे नाखुन।
और नगेे नंगे पैैर चेहरे पर मुस्कान के साथ बोलीीं दीदी कुछ खाने को दो।