डियर डायरी 28/04/2020
डियर डायरी 28/04/2020


मथुरा में एक गर्भवती महिला और उसके बच्चे की सिर्फ इसलिए मौत हो गई क्योंकि लॉकडाउन के दौरान वो समय से अस्पताल न जा सकी ! और जब अस्पताल गई भी तो डॉक्टरो ने उसे देखा नहीं और आगरा के रेफर कर दिया
जब महिला की तबीयत ज्यादा खराब हो गई, तो उसने पुलिसकर्मियों से गुहार लगाई मगर पुलिसकर्मियों ने कोई मदद नहीं की। उसे एंबुलेंस भी नहीं मिली । अन्ततः किसी तरह धकेलने वाले रिक्शे पर लादकर उसको जिला अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन वहां भी डाक्टरों ने नहीं देखा और से आगरा ले जाने को कहा। और आगरा पहुंचने पर मां ने बच्चे को जन्म दिया और उसके तुरंत बाद दोनों की मौत हो गई।
यह पूरा केस पुलिस की लापरवाही और डॉक्टरों की लापरवाही का है। इतना बड़ा मथुरा शहर का जिला अस्पताल, लेकिन वहां गर्भवती महिला को क्यों नहीं देखा गया ? और क्यों नहीं उसको इलाज उपलब्ध कराया गया ? और समय पर पुलिस ने उसे क्यों नहीं
अस्पताल जाने दिया ? अगर समय से वह जिला अस्पताल पहुंच गई होती और जिला अस्पताल में डोली उसका इलाज किया होता है तो गर्भवती और उसके नवजात की जान बच सकती थी क्योंकि यह डिलीवरी का एक सामान्य सा केस था
लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की आड़ में बहुत से अस्पतालों में इस तरह के खेल खेले जा रहे हैं और इंसान मौत के मुंह पर मुंह में जा रहा है! यह अकेला किस्सा सिर्फ मथुरा का नहीं है, बल्कि इस तरह की लापरवाही तमाम अस्पतालों में देखने को मिल रही है।
सवाल यह है कि करुणा के एक मरीज को बचाने के लिए क्या दूसरे मरीजों की आप जान ले लोगे ? लेकिन आज पूरे देश में यही हो रहा है और दवा इलाज के अभाव में कोरोना से ज्यादा मौतें दूसरी बीमारियों में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण हो रही है,!
एक को बचाया और चार को मारा यह कैसा तुम्हारा असूल है ?
मदद हिफाजत, दवाई और भोजन, ये तुम्हारी बातें फिजूल है।